इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी जैसी शीर्ष संस्था में पढ़ाने वाला व्यक्ति यदि कट्टरपंथी और समुदाय विशेष से नफ़रत करने वाली बातें कहे तो क्या कहा जाए? क्या इससे यह साफ़ नहीं होता है कि अध्ययन-अध्यापन जैसे बौद्धिक पेशे में भी कट्टरता बढ़ रही है? क्या इससे यह नहीं पता चलता है कि आईआईटी जैसी गौरवशाली संस्था में भी कट्टरता घुस चुकी है?