किसी भी राज्य के 69 प्रतिशत कोरोना संक्रमण के मामले उस राज्य के तीन ज़िलों में ही पाए गए हैं। ये ज़िले आपस में सटे हुए भी हैं। महाराष्ट्र से लेकर केरल तक यह ट्रेंड देखा गया है।
इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में कहा है कि इससे राज्यों को इन इलाक़ों की पहचान करने, उनकी निगरानी करने और संक्रमण को उसी इलाक़े तक सीमित रखने में मदद मिलती है।
देश के कुल 25 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के 170 ज़िलों में कोरोना संक्रमण पाए गए हैं। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात के ज़िलों में 4,200 मामले सामने आए हैं।
महाराष्ट्र
इंडियन एक्सप्रेस की इस ख़बर के अनुसार, महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे और थाणे में राज्य के कुल संक्रमण के 89.27 मामले हैं। इन ज़िलों में जो लोग ठीक हो गए हैं, उनके 83 प्रतिशत लोग इन्हीं तीन ज़िलों के हैं।
गुजरात
गुजरात में कोरोना के जो मामले पाए गए हैं, उनमें से 84.87 प्रतिशत मामले अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत में सामने आए हैं। जितने लोगों का इलाज किया जा चुका है, उनमें से 53 प्रतिशत लोग इन्हीं 3 ज़िलों में रहते हैं।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के कोरोना मामलों के 81.51 प्रतिशत लोग लोग इंदौर, भोपाल और खरगौन के हैं।
यह ट्रेंड यहीं तक सीमित नहीं है, दक्षिण भारत में भी ऐसा ही है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में भी यही देखने को मिला है।
केरल के बेंगलुरू, मैसूरू और बेलगावी में संक्रमण सबसे ज़्यादा है। केरल के कासरगढ़, कन्नूर और एर्नाकुलम में भी यही ट्रेंड देखने को मिला है। इन ज़िलों में उन राज्यों के संक्रमण के औसतन 63 प्रतिशत मामले पाए गए हैं।
बिहार, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के भी तीन ज़िलों में उन राज्यों के लगभग 60 प्रतिशत मामले पाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में मामला थोड़ा हट कर है। वहाँ तीन ज़िलों आगरा, लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में कुल संक्रमण के 45 प्रतिशत मामले सामने आए हैं।
ऑल इंडिया. इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइसेंज के निदेशक रणदीप गुलेरिया का मानना है कि कोरोना रोकथाम की रणनीति का एक मक़सद यह है कि सीमित इलाक़ों में संक्रमण को घेर कर रखा जाए।
बता दें कि पूरे देश में कोरोना से प्रभावित होने वालों की संख्या बढ़ कर 14,378 हो गई। इसके साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 480 हो गई है।
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