राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 43 खालिस्तान समर्थकों की पहचान की है, जो कथित तौर पर 19 मार्च को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान लंदन में भारतीय उच्चायोग में हिंसा में शामिल थे और जिन्होंने कथित तौर पर 2 जुलाई को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया था।
एनआईए के अनुसार, ओटावा और लंदन में भारत के उच्चायोगों के साथ-साथ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्य दूतावास पर हमले भी पूरे वर्ष विदेशों में भारतीय हितों के खिलाफ अपराधों पर एनआईए की कार्रवाई का केंद्र बने रहे। विदेश में भारतीय मिशनों पर हमलों के पीछे की साजिश को उजागर करने के एजेंसी के प्रयासों के तहत 50 से अधिक छापे और तलाशी देखी गईं।
इस जांच में पाया गया कि ऐसे तत्व उस भीड़ में शामिल थी जो भारतीय मिशनों पर पहुंची। ऐसे 43 संदिग्धों की पहचान हुई। एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा, एनआईए ने हाल के महीनों में इन मामलों में अपनी जांच तेज कर दी है और भारत में 80 से अधिक लोगों से पूछताछ की है, जिन पर हमलों की साजिश का हिस्सा होने का संदेह है।
एनआईए ने दावा किया कि जांच और अभियोजन विशेषज्ञता, प्रभावी फॉलोअप की वजह से 2023 में 94.70 फीसदी मामलों में सजा हुई है। जो 2022 में दोषसिद्धि दर 94.39 प्रतिशत से ज्यादा है।
एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि “एनआईए ने इस साल 2022 में 490 की तुलना में 625 लोगों को गिरफ्तार किया था। यह लगभग 28 प्रतिशत ज्यादा है। प्रवक्ता ने कहा, 625 में से 65 को आईएसआईएस मामलों में, 114 को जिहादी आतंकी मामलों में, 45 को मानव तस्करी के मामलों में, 28 को आतंकवादी और संगठित आपराधिक गतिविधि के लिए और 76 को वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) मामलों में गिरफ्तार किया गया।
एनआईए के मुताबिक “एनआईए ने 2023 में कुल 68 मामले दर्ज किए, जिसमें आतंक से संबंधित घटनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी। इनमें कई राज्यों में 18 जिहादी आतंकी मामले, जम्मू-कश्मीर से तीन मामले, वामपंथी उग्रवाद के 12 मामले, पंजाब में आतंकवादी और संगठित आपराधिक गतिविधि से जुड़े सात मामले, पूर्वोत्तर के पांच मामले और नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) से संबंधित दो मामले शामिल हैं। 2022 में, एनआईए ने 73 मामले दर्ज किए थे, जो 2021 में दर्ज 61 मामलों से 19.67 प्रतिशत अधिक है, और एजेंसी के लिए यह अब तक का उच्चतम स्तर है।
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