देश भर में 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो जाएंगे। इन्हें लागू करने के लिए 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, देश भर के न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। इन कानूनों को 11 अगस्त 2023 को विधेयक के रूप में संसद में पेश किया गया था।
लगभग 40 लाख जमीनी स्तर के अधिकारियों ने विभिन्न मंत्रालयों द्वारा आयोजित वेबिनार में भाग लिया है ताकि यह तय किया जा सके कि नागरिकों तक नए कानूनों के बारे में जानकारी पहुंच जाए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) नई प्रणाली में ठीक से बदलाव के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता भी दे रहा है। गृह मंत्रालय नए कानूनों पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ नियमित रूप से बैठकें कर रहा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “चूंकि नए आपराधिक कानून जांच, मुकदमे और अदालती कार्यवाही में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हैं, एनसीआरबी ने मौजूदा अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लिकेशन में 23 बदलाव किए हैं। इससे देश में कहीं भी दर्ज एफआईआर को ट्रैक किया जा सकेगा। जांच अधिकारियों से सूचनाएं हासिल की जा सकेंगी। मुकदमे की कार्यवाही में इससे काफी मदद मिलेगी।”
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि “पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) ने ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किया है और सभी स्टेकहोल्डर के साथ साझा किया है। इसने 250 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम/वेबिनार/सेमिनार भी आयोजित किए हैं जिनमें 40,317 अधिकारियों/कार्मिकों को प्रशिक्षित किया गया है।
अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि “राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 5,84,174 लोगों को इसके लिए तैयार किया है। जिसमें 5,65,746 पुलिस अधिकारी और जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन पक्ष के लोग शामिल हैं। आईजीओटी- कर्मयोगी भारत और बीपीआर एंड डी भी नए आपराधिक कानूनों पर तीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पेश कर रहे हैं, जिसमें अब तक 2,17,985 अधिकारियों ने नामांकन किया है।” यानी ट्रेनिंग के जरिए इन लोगों को तीनों नए कानूनों को लागू करने के लिए तैयार किया गया है।
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