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3 आपराधिक कानूनः 1 जुलाई से किस तरह और कैसे लागू करने की तैयारी है

तैयार हो जाइए। 1 जुलाई से आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 154 के बजाय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 173 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएंगी। इसी तरह के बदलाव आपको नए आपराधिक कानूनों में नजर आएंगे। 

देश भर में ​1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो जाएंगे। इन्हें लागू करने के लिए 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, देश भर के न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। इन कानूनों को 11 अगस्त 2023 को विधेयक के रूप में संसद में पेश किया गया था।

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लगभग 40 लाख जमीनी स्तर के अधिकारियों ने विभिन्न मंत्रालयों द्वारा आयोजित वेबिनार में भाग लिया है ताकि यह तय किया जा सके कि नागरिकों तक नए कानूनों के बारे में जानकारी पहुंच जाए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) नई प्रणाली में ठीक से बदलाव के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता भी दे रहा है। गृह मंत्रालय नए कानूनों पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ नियमित रूप से बैठकें कर रहा है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “चूंकि नए आपराधिक कानून जांच, मुकदमे और अदालती कार्यवाही में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हैं, एनसीआरबी ने मौजूदा अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लिकेशन में 23 बदलाव किए हैं। इससे देश में कहीं भी दर्ज एफआईआर को ट्रैक किया जा सकेगा। जांच अधिकारियों से सूचनाएं हासिल की जा सकेंगी। मुकदमे की कार्यवाही में इससे काफी मदद मिलेगी।”
एमएचए के एक अधिकारी ने बताया कि “एनसीआरबी ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की निरंतर समीक्षा और सहायता के लिए 36 सहायता टीमों और कॉल सेंटर का भी गठन किया है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपराध स्थलों, न्यायिक सुनवाई और डिलीवरी कोर्ट समन की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सुविधा के लिए ई-साक्ष्य, न्याय ऑडियो और ई-समन नामक एप्लिकेशन विकसित किए हैं।''

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि “पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) ने ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किया है और सभी स्टेकहोल्डर के साथ साझा किया है। इसने 250 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम/वेबिनार/सेमिनार भी आयोजित किए हैं जिनमें 40,317 अधिकारियों/कार्मिकों को प्रशिक्षित किया गया है।

अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि “राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 5,84,174 लोगों को इसके लिए तैयार किया है। जिसमें 5,65,746 पुलिस अधिकारी और जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन पक्ष के लोग शामिल हैं। आईजीओटी- कर्मयोगी भारत और बीपीआर एंड डी भी नए आपराधिक कानूनों पर तीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पेश कर रहे हैं, जिसमें अब तक 2,17,985 अधिकारियों ने नामांकन किया है।” यानी ट्रेनिंग के जरिए इन लोगों को तीनों नए कानूनों को लागू करने के लिए तैयार किया गया है।

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 1,200 विश्वविद्यालयों और 40,000 कॉलेजों और एआईसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) ने लगभग 9,000 संस्थानों को सूचनात्मक फ़्लायर्स बांटे हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी ने भी नए कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों और लाभों को उजागर करने के लिए देश भर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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