ग़ैर-आरक्षित वर्गों के ‘ग़रीबों’ के लिए नया 10% आरक्षण लागू करने के लिए शिक्षा संस्थानों को क़रीब 3 लाख सीटें बढ़ानी होंगी जो कि मौजूदा सीट क्षमता का 25% है। संस्थानों ने कहा है कि उनके पास हर पाठ्यक्रम में 25% सीटें बढ़ाने के लिए न तो जगह है न ही पैसा। इसपर सरकार ने कहा है कि वह इसके लिए आर्थिक मदद करेगी।
नया आरक्षण 10% लेकिन सीटें बढ़ेंगी 25% - ऐसा क्यों?
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- 29 Mar, 2025

ग़ैर-आरक्षित वर्गों के ‘ग़रीबों’ के लिए नया 10% आरक्षण लागू करने के लिए शिक्षा संस्थानों को क़रीब 3 लाख सीटें बढ़ानी होंगी जो कि मौजूदा सीट क्षमता का 25% है।
सरकार क्या और कितनी मदद करेगी, यह दीगर बात है। पहला सवाल तो यह कि 10% अतिरिक्त आरक्षण देने के लिए 25% सीटें बढ़ाने की आवश्यकता क्या और क्यों है? क्या ऐसा नहीं हो सकता था कि अभी हर पाठ्यक्रम के लिए जो जनरल सीटें हैं, उनमें से ही 10% सीटें अलग से अनारक्षित वर्गों के ग़रीब तबक़ों के लिए अलग कर दी जातीं? जैसे यदि अभी कहीं 49.5% सीटें आरक्षित हैं और बाक़ी 50.5% सीटें जनरल हैं तो क्या इन जनरल सीटों में से 10% नए आरक्षण के मद में आ जातीं और शेष 40.5% सीटें जनरल कोटे में रहतीं?
आसान रास्ता क्यों नहीं अपनाया?
ऐसा करना आसान था। लेकिन तब जनरल सीटों की संख्या पहले से कम हो जाती। और शायद सरकार चाहती है कि हर पाठ्यक्रम में जनरल कैंडिडेटों के लिए पहले जितनी सीटें थीं, उतनी ही नए आरक्षण के बाद भी रहें। जैसे कहीं यदि 100 सीटें हैं और नए आरक्षण से पहले वहाँ 50 सीटें जनरल कोटे में थीं तो नए आरक्षण के तहत 10% सीटें देने के बाद भी 50 सीटें जनरल कोटे में रहें।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश