कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को बूस्टर खुराक यानी तीसरी खुराक के रूप में इस्तेमाल के लिए डीजीसीआई से मंजूरी मिल गई। यह देश की पहली हेटरोलोगस वैक्सीन है जिसे डीजीसीआई से इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। हेटरोलोगस वैक्सीन का मतलब है कि कोविशील्ड या कोवैक्सीन की खुराक लिए व्यक्ति को तीसरी खुराक के रूप में कॉर्बेवैक्स को दिया जा सकता है।
बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को बनाया है। इस वैक्सीन को बूस्टर खुराक के रूप में ही किसी भी व्यस्क को दिया जा सकता है जिसने कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दो खुराक पहले ही ले ली हो। दूसरी खुराक लेने के छह महीने बाद ही इस वैक्सीन को लगवाया जा सकता है।
अभी तक बूस्टर डोज अनिवार्य रूप से उसी वैक्सीन को लगवाया जाता था जिसकी पहली और दूसरी खुराक दी गई हो। कंपनी ने आज एक बयान में कहा है कि आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग के लिए कोवैक्सीन या कोविशील्ड की प्राथमिक दो खुराक लेने के छह महीने बाद इसे लोगों को दिया जा सकता है।
बयान में कहा गया है, 'हम इस मंजूरी से बहुत खुश हैं, जो भारत में कोरोना बूस्टर खुराक की ज़रूरत को पूरा करेगा। हमने अपनी कोरोना टीकाकरण यात्रा में एक और मील का पत्थर पार कर लिया है। यह मंजूरी एक बार फिर निरंतर विश्व स्तर के सुरक्षा मानकों और कॉर्बेवैक्स की उच्च इम्युनोजेनेसिटी को दर्शाता है।'
हाल ही में बायोलॉजिकल ई ने डीसीजीआई को अपना क्लिनिकल ट्रायल का डेटा पेश किया था। डीजीसीआई ने विषय विशेषज्ञ समिति के साथ विस्तृत मूल्यांकन और विचार-विमर्श के बाद उन लोगों के लिए हेटरोलोगस बूस्टर खुराक के रूप में कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को लगाने की अपनी स्वीकृति दी, जो पहले से ही कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दो खुराक ले चुके हैं।
क्लिनिकल ट्रायल के आँकड़ों से पता चला है कि कॉर्बेवैक्स बूस्टर खुराक ने प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में वृद्धि की और यह पूरी तरह सुरक्षित है। कंपनी ने 18 से 80 वर्ष की आयु के 416 लोगों पर परीक्षण किया था।
अपनी राय बतायें