एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण यानी इससे होने वाली बीमारियों से हर रोज़ कम से कम 80 मौतें होती हैं। डॉक्टर कहते हैं कि खाँसी, जुकाम जैसी मामूली बीमारी से लेकर दमा, कैंसर और ब्रेन स्ट्रोक तक प्रदूषण की देन हैं। हाल ही में आई रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल की जनवरी पिछले चार सालों में अब तक की सबसे प्रदूषित जनवरी है। 20 जनवरी तक दिल्ली में 7 दिन से प्रदूषण ख़तरनाक स्तर पर था। साल के पहले ही महीने में दिल्लीवालों के लिए प्रदूषण के कारण जान पर बन आई है। प्रदूषण का यह भूत दिनों-दिन और डरावना होता जा रहा है। प्रदूषण इतना डराने लगा है कि अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कहने लगे हैं कि हम रिटायर होकर दिल्ली में नहीं रहेंगे क्योंकि दिल्ली अब रहने लायक नहीं रह गई।
दिल्ली में प्रदूषण से रोज़ 80 मौतें, मर्ज़ का इलाज नहीं
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- 23 Jan, 2019

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण यानी इससे होने वाली बीमारियों से हर रोज़ कम से कम 80 मौतें होती हैं। मर्ज तो बढ़ता जा रहा है, इलाज कोई नहीं।
अगर कई-कई एकड़ के बंगले में हरियाली के बीच बनी कोठी में रहने वालों को प्रदूषण सता रहा है तो सवाल यह उठता है कि आम जनता कहाँ जाए। दिल्ली की पौने दो करोड़ आबादी में से दिल्ली छोड़कर जाने का विकल्प तो कुल मिलाकर एक लाख लोगों के पास भी नहीं होगा। बाक़ी लोग कहाँ जाएँ। आख़िर दिल्ली के हुक्मरानों ने, राजनीतिक दलों ने, अफ़सरशाही ने या फिर ख़ुद दिल्लीवालों ने ऐसा क्या किया है कि दिल्ली में प्रदूषण का लेवल कम हो सके।