तो आप भी आख़िर सरकार के ही काम आए। हम बेवजह समझ रहे थे कि आप हैं तो कुछ तो बचा के रखेंगे। लेकिन आपने तो उनका पूरा एजेंडा ही स्क्रिप्ट में तब्दील कर दिया। असगर वजाहत साहब, आपसे ऐसी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। या शायद यह ‘उम्मीद’ ही ग़लत थी। आप बीच-बीच में जैसा दर्शन देते रहे हैं, पहले ही समझ लेना चाहिए था। असगर साहब, अब आप महज़ संदेह के घेरे में नहीं हैं। ‘महाबली’ से उठा संदेह अब यक़ीन में तब्दील हो चुका है।