एनडीए में अंदर रहकर भारतीय जनता पार्टी के हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडे के विरोध पर जनता दाल यूनाइटेड (जेडीयू) में खलबली तेज़ हो रही है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य आर. पी. सिंह ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि कश्मीर के विशेष अधिकार को ख़त्म करने को लेकर अनुच्छेद 370 में फेरबदल अब क़ानून बन चुका है इसलिए अब उसके विरोध का कोई अर्थ नहीं है। सबको उसका सम्मान करना चाहिए। इससे पहले पार्टी के एक अन्य नेता अजय आलोक ने नीतीश कुमार से अनुरोध किया था कि जान भावना को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 370 पर पार्टी के रुख़ पर पुनर्विचार करें।

राजनीति हलकों में चर्चा है कि जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन अब सहज नहीं रह गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने दरियादिली दिखते हुए अपनी 2014 की जीती हुई 5 लोकसभा सीटों को जेडीयू के लिए क़ुर्बान कर दिया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद स्थिति अलग है।
ये दोनों बयान पार्टी के वरिष्ठ नेता के.सी. त्यागी के पहले के बयान के ख़िलाफ़ हैं। त्यागी ने कहा था कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया और जॉर्ज फ़र्नांडिस जैसे नेता अनुच्छेद 370 में किसी तरह के फेरबदल के ख़िलाफ़ थे इसलिए पार्टी ने संसद में इसका विरोध किया। इस तरह के परस्पर विरोधी बयान पार्टी के दो धाराओं का संघर्ष है या फिर पार्टी की रणनीति का हिस्सा, इसे समझने के लिए पार्टी के हाल के दिनों के दो-तीन फ़ैसलों पर पर ग़ौर करना ज़रूरी है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक