बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में काफी जूनियर नेता हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उनके एक सवाल ने प्रधानमंत्री को इस बात पर मजबूर कर दिया कि वह परिवारवाद के बारे में कुछ न बोलें।

प्रधानमंत्री मोदी जिस 'परिवारवाद' को मुद्दा बनाते रहे हैं, क्या वह बिहार में मुद्दा बना पाएँगे? क्या ऐसा करने में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को ही नुक़सान हो जाएगा?
ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवारवाद वाले बयान पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने यह कहा था कि जिनकी संतान नहीं वह परिवार के बारे में क्या जाने। उनके इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने अपने को ‘मोदी का परिवार’ बताने वाला नारा दिया था। यह नारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी टैग किया गया था।
तेजस्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमुई में होने वाली सभा से एक दिन पहले यह सवाल किया था कि क्या वह वहां एनडीए के उम्मीदवारों के परिवारवाद के बारे में बात करेंगे क्योंकि वहां की सीट समझौते के तहत चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) को मिली है और इस सीट से उनके उम्मीदवार उनके बहनोई और दिवंगत रामविलास पासवान के दामाद अरुण भारती हैं।