राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा संसद में “ठाकुर का कुंआ” कविता पढ़ने और अपने अंदर के ठाकुर को मारने की बात कहने के बाद बिहार में राजनीति तेज हो गई है। इस पर लगातार नेताओं के बयान आ रहे हैं। इस कड़ी में अब लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र और बिहार के मंत्री तेजप्रताप यादव ने भी गुरुवार को बयान दिया है।
उनसे जब मनोज झा के ठाकुरों पर दिये गये बयान और इस पर छिड़े विवाद को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कौन ठाकुर, किसका अपमान कर दिया, हम तो एक ही ठाकुर को जानते हैं, जो वृंदावन में रहते हैं। जिनको ठाकुर जी बोलते हैं, भगवान कृष्ण बोलते हैं। उन्होंने कहा कि हम और किसी ठाकुर को नहीं जानते हैं।
मीडिया से बात करते हुए गुरुवार को तेजप्रताप यादव ने कहा कि भाजपा आरएसएस की उपज है। तेजप्रताप ने आरएसएस को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से भी जोड़ा है। उन्होंने भाजपा को हत्यारों की पार्टी बताया है।
मीडिया से बात करते हुए तेज प्रताप ने कहा कि इन भाजपाइयों से कुछ होना जाना नहीं है। देश बहुत बुरा हाल में है। भाजपाइयों से हर स्टेट में जनता त्राहिमाम कर रही है। इसलिए भाजपा वाले क्या बोलते हैं नहीं बोलते हैं इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
तेजप्रताप यादव ने कहा कि हर आदमी को इंसानियत की बात करनी चाहिए। जाति से हमें कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि इंसानियत धर्म बहुत बड़ा धर्म है। सबसे बड़ी बात है कि सभी के अंदर इंसानियत होनी चाहिए।
क्या है ठाकुर विवाद और क्या कहा था मनोज झा ने
21 सितंबर को महिला आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा था कि इस विधेयक को दया भाव की तरह पेश किया जा रहा है। दया कभी अधिकार की श्रेणी में नहीं आ सकती है। अपने भाषण को अंत में उन्होंने उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि की लिखी हुई कविता, “ठाकुर का कुंआ” पढ़ी थी। उन्होंने इस कविता को पढ़कर उन्होंने अपने अंदर के ठाकुरों को मारने की बात कही थी। उन्होंने कविता पढ़ने से पहले कहा था कि इसमें जो प्रतीक है, वो किसी जाति विशेष के लिए नहीं है। हम सब के अंदर एक ठाकुर है, जो न्यायालय में बैठा हुआ है। वो विश्वविद्यालयों में है बैठा हुआ है।
उन्होंने कहा था कि वह संसद की दहलीज को चेक करता है। वो ठाकुर संसद में हैं, यह ठाकुर विधायिका को कंट्रोल करता है। इस ठाकुर को मारो जो हमारे अंदर है।
इसके बाद उन्होंने कविता पढ़ी था। इस कविता के बोल थे- चूल्हा मिट्टी का,मिट्टी तालाब की,तालाब ठाकुर का। भूख रोटी की, रोटी बाजरे की,बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का। बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी, फ़सल ठाकुर की। कुआं ठाकुर का,पानी ठाकुर का खेत-खलिहान ठाकुर के गली-मुहल्ले ठाकुर के, फिर अपना क्या?
इस कविता के पाठ ने बिहार की सियासत में एक नये विवाद को जन्म दिया है। इसे राजपूत समाज के विरोध में कही गई कविता बताया जाने लगा है। इस पर मीडिया में अपनी सफाई देते हुए मनोज झा ने कहा है कि यह कविता कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में है। यह हजारों बार चौक-चौराहों पर पढ़ी गई है। इसका मर्म साफ है। इस कविता का संबध किसी जाति व्यवस्था से नहीं है, बल्कि प्रभुत्व के व्याकरण से है।
आनंद मोहन ने कहा मैं संसद में होता तो उनकी जीभ खींच देता
मनोज झा के बयान पर बिहार के राजपूत नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सबसे चर्चित प्रतिक्रिया पूर्व सांसद आनंद मोहन की आयी है। आनंद मोहन ने मीडिया से बात करते हुए मनोज झा की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि अगर मैं राज्यसभा में होता तो जीभ खींचकर आसन की तरफ उछाल देता, सभापति की ओर। आप इतने बड़े समाजवादी हो तो नाम के साथ झा क्यों लगाते हो। आप पहले अपने अंदर के ब्राह्मण को मारो। आनंद मोहन ने कहा है कि रामायण में ठाकुर, महाभारत में ठाकुर, सभी कथा में ठाकुर। मंदिर में ठाकुर हैं कहां-कहां से भागोओ।
वहीं आनंद मोहन के पुत्र और राजद विधायक ने मनोज झा के बयान पर कहा है कि आप ब्राह्मण हैं इसलिए आपने ब्राह्मणों के विरोध में कविता नहीं पढ़ी। उन्होंने कहा कि मनोज झा जनता से माफी मांगे। हम चूड़ी पहनकर नहीं बैठेंगे। कुछ लोग पार्टी में रहकर ए टू जेड का फार्मूला बिगाड़ना चाहते हैं। हम पार्टी फोरम में इस मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि मनोज झा का बयान समाजवाद नहीं है।
अपने अंदर के रावण को मारने की बात कहिए
राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान को बिहार में भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू ने शर्मनाक बताया है। उन्होंने आनंद मोहन के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि अगर ठाकुरों के प्रति मेरे सामने किसी ने ऐसा बयान दिया होता तो मैं उसकी औकात बता देता। मनोज झा को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि देश हमारा आजाद है तो ठाकुरो की वजह से, ठाकुर है तो देश सुरक्षित है। आप अंदर के ठाकुर को मारने के बजाए रावण को मारने की बात कहिए। किसी जाति विशेष को टारगेट करना दुखद है।
मनोज झा के बयान का विरोध जदयू के राजपूत नेताओं ने भी किया है। जदयू एमएलसी संजय सिंह ने कहा है कि मनोज झा का बयान निंदनीय है। हम लोग ब्राह्मणों का सम्मान करते हैं मगर मैं उन्हें चेतावनी देता हूं कि क्षत्रीय समाज आग है उसे भड़काएं नहीं। वरना कोई दमकल इस आग को बुझा नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि मनोज झा अपने बयान के लिए सार्वजनिक माफी मांगे। राजद को भी इसे संज्ञान लेते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगना चाहिए।
वहीं जदयू के प्रवक्ता डॉ सुनील कुमार सिंह ने कहा है कि मनोज झा को भारत के इतिहास में ठाकुरों के बलिदान के बारे में पढ़ना चाहिए। उन्हें ठाकुरों का बलिदान नहीं पता है। हमने बहुत बलिदान दिया है। हमने सिर कटाया है। सब कुछ गवां कर धर्म और देश की रक्षा की है। उनको यह सब समझना चाहिए।
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