क्या अब नीतीश सरकार भी सोशल मीडिया पर अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं करेगी? सरकार ने एक आदेश निकाला है कि इसके ख़िलाफ़ ग़लत लिखने पर यानी आपत्तिजनक लिखने पर जेल हो सकती है। इस आदेश को लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को 'भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह' बुलाते हुए चुनौती दी कि इस आदेश के तहत अब मुझे गिरफ़्तार करें।
नीतीश सरकार का यह आदेश वैसा ही है जैसा केरल में भी पिनराई विजयन सरकार ने निकाला था। हालाँकि, विजयन सरकार तो अध्यादेश ही ले आई थी। लेकिन जब इस तरह के प्रावधान के लिए उसकी आलोचना की गई तो वह पलट गई। केरल की विजयन सरकार की तरह ही अब बिहार की नीतीश सरकार की भी आलोचना की जाने लगी है।
राज्य की आर्थिक अपराध शाखा ने सरकार के सभी प्रधान सचिवों को पत्र लिखा है। इसमें सरकारी पदाधिकारियों, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और सरकार के किसी भी विभाग के प्रमुख के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया और इंटरनेट पर आपत्तिजनक, मानहानि करने वाले या ग़लत और भ्रामक टिप्पणी करने वालों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने को कहा गया है। बता दें कि राज्य में आर्थिक अपराध शाखा ही साइबर अपराध शाखा की नोडल एजेंसी है।
सरकार के इस आदेश के सामने आने के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने उनपर निशाना साधा। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाया और उन्हें गिरफ़्तार करने की चुनौती दी।
60 घोटालों के सृजनकर्ता नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह, दुर्दांत अपराधियों के संरक्षकर्ता, अनैतिक और अवैध सरकार के कमजोर मुखिया है। बिहार पुलिस शराब बेचती है। अपराधियों को बचाती है निर्दोषों को फँसाती है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 22, 2021
CM को चुनौती देता हूँ- अब करो इस आदेश के तहत मुझे गिरफ़्तार।👇 https://t.co/wDJfoMqgjT
बाद में उन्होंने एक अन्य ट्वीट में नीतीश कुमार पर हिटलर के पदचिन्हों पर चलने का आरोप लगाया। तेजस्वी ने इसमें आरोप लगाया कि नीतीश सरकार में लोग धरना नहीं दे सकते, सरकार के ख़िलाफ़ लिखने पर जेल होगी, आम आदमी विपक्ष के नेता से नहीं मिल सकता है।
हिटलर के पदचिन्हों पर चल रहे मुख्यमंत्री की कारस्तानियां
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 22, 2021
*प्रदर्शनकारी चिह्नित धरना स्थल पर भी धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते
*सरकार के ख़िलाफ लिखने पर जेल
*आम आदमी अपनी समस्याओं को लेकर विपक्ष के नेता से नहीं मिल सकते
नीतीश जी, मानते है आप पूर्णत थक गए है लेकिन कुछ तो शर्म किजीए pic.twitter.com/k6rtriCJ3x
बता दें कि नीतीश अपनी सभी सार्वजनिक सभाओं में सोशल मीडिया पोस्ट को अपनी सरकार के ख़िलाफ़ ग़लत, भ्रामक और झूठी सूचनाओं से भरा बताते रहे हैं। नीतीश कुमार पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के अंसतोषजनक प्रदर्शन के कारणों में सोशल मीडिया को भी ज़िम्मेदार मानते रहे हैं। उन्होंने पहले भी कहा था कि सोशल मीडिया ने लोगों के बीच उनके सरकार के प्रति एक नाकारात्मक छवि पेश की थी।
राज्य की आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यानी एडीजी नैयर हसनैन ख़ान ने सरकार के सभी प्रधान सचिवों को पत्र में लिखा, 'यह पता चला है कि कुछ व्यक्ति और संगठन सोशल मीडिया पर सरकार, सम्मानित मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं।'
बता दें कि ऐसा ही मामला केरल में भी आया था। केरल की एलडीएफ़ सरकार तो इस पर अध्यादेश तक ले आई थी। हालाँकि बाद में उसे अपना फ़ैसला पलटना पड़ा। एलडीएफ़ सरकार द्वारा 'आपत्तिजनक' सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर लाए गए अध्यादेश पर सरकार के भीतर ही मतभेद सामने आने के बाद इसे रोक लिया गया था।
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा था कि इसे अमल में नहीं लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार को समर्थन देने वाले और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े होने वाले लोगों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि विधानसभा में इसे लेकर चर्चा की जाएगी और सारे राजनीतिक दलों की बात सुनने के बाद ही इस संबंध में आगे कोई क़दम उठाया जाएगा।
उस अध्यादेश को लेकर एलडीएफ़ सरकार में शामिल दल सीपीएम ने भी नाराजगी जताई थी। बीजेपी और कांग्रेस जैसी दूसरी विपक्षी पार्टियाँ तो आलोचना कर ही रही थीं।
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