क्या बीजेपी शाहनवाज़ हुसैन के द्वारा एक तीर से दो शिकार करना चाहती है। जी हां, राजनीतिक गलियारों से जो ख़बर आ रही है यदि उस पर विश्वास करें तो बीजेपी आलाकमान नीतीश कुमार और सुशील मोदी को कंट्रोल करने के लिए शाहनवाज़ हुसैन को बिहार भेज रहा है। सूत्रों से ऐसी भी ख़बर मिल रही है कि शाहनवाज़ हुसैन को बिहार में मंत्री भी बनाया जा सकता है।
नीतीश कैबिनेट में बीजेपी के कम अनुभव वाले मंत्रियों की सूची लंबी है। इसी खाई को पाटने और नीतीश की महत्वाकांक्षा को ब्रेक लगाने के लिए पार्टी एक बड़े कद के नेता शाहनवाज़ हुसैन को कैबिनेट में शामिल कराना चाहती है।
वहीं, दूसरी तरफ सुशील मोदी को दिल्ली भेजने के बावजूद वे अभी भी बिहार की राजनीति में अन्य नेताओं के अपेक्षा काफी सक्रिय हैं और उनके प्रभाव को कम करने के लिए शाहनवाज़ हुसैन जैसे बड़े कद के नेता की बिहार में ज़रूरत है। बिहार की राजनीति में सुशील मोदी और शाहनवाज़ हुसैन के संबंध कभी बेहतर नहीं रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि नए साल के पहले सप्ताह में शाहनवाज़ हुसैन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी और उसी मुलाकात के दौरान ही उन्हें संकेत दे दिया गया था कि आपको बिहार जाना है। उन्हें आगे का रोड मैप भी समझा दिया गया था।
शाहनवाज़ हुसैन का राजनीतिक वनवास खत्म कर पार्टी ने उन्हें बिहार विधान परिषद के चुनाव में उम्मीदवार बनाया है तो इसके गहरे मायने हैं। एक बात बिल्कुल आईने की तरह साफ है कि शाहनवाज़ सिर्फ विधान पार्षद बनने बिहार नहीं आ रहे हैं।
काफी दिनों से वनवास झेल रहे शाहनवाज़ हुसैन ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव में पार्टी के लिए जी-तोड़ मेहनत की थी। इसके बाद आलाकमान ने उनके लिए नया रोल तय किया।
उप मुख्यमंत्री बना सकती है पार्टी
जानकार बताते हैं कि राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव रखने वाले शाहनवाज़ हुसैन का रोल नीतीश कुमार को सरकारी स्तर पर हैंडल करने का होगा। पार्टी उन्हें उप मुख्यमंत्री या मंत्री बना सकती है। फिलहाल नीतीश मंत्रिमंडल में मंगल पांडे को छोड़कर बीजेपी के जो भी मंत्री शामिल हैं उनमें सब बहुत कम अनुभव वाले हैं। डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद पहली बार मंत्री बने हैं तो दूसरी डिप्टी सीएम रेणु देवी इससे पहले कुछ दिनों के लिए बेहद कम महत्वपूर्ण विभाग वाली मंत्री रही हैं।
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वर्तमान परिस्थिति यह है कि कम अनुभव वाले मंत्रियों के होने के कारण सरकारी बैठकों में बीजेपी वह दबाव नहीं बना पाती जो बनाना चाहिये। खासकर कैबिनेट की बैठक में, जहां नीतीश अपनी मर्जी से सारे एजेंडे पास करा ले जाते हैं और बीजेपी के मंत्री देखते रह जाते हैं।
आलम ये है कि बीजेपी के डिप्टी सीएम और मंत्री अपने विभाग के सचिव के पदस्थापन की बात भी मुख्यमंत्री से नहीं कर पाते। जिलों में डीएम-एसपी के ट्रांसफर-पोस्टिंग में बीजेपी की कुछ नहीं चल रही है। ऐसे में सरकार पर बीजेपी की पकड़ कमजोर होती जा रही है।
सुशील मोदी के विकल्प बनेंगे?
शाहनवाज़ हुसैन को आगे कर पार्टी नीतीश कुमार के साथ-साथ बिहार बीजेपी में सुशील मोदी का विकल्प तैयार करना चाहती है। शाहनवाज़ हुसैन सुशील मोदी के विकल्प होंगे या नहीं अभी दावे से नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल यह देखना बहुत महत्वपूर्ण होगा कि शाहनवाज़ हुसैन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के ब्लूप्रिंट को किस हद तक अमल में लाते हैं।
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