बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के तीसरे चरण में विकास और जातीय समीकरण सीमांचल की वोट चर्चा के अहम हिस्सा नज़र आते हैं लेकिन बदलाव की चाहत इन पर भारी दिखती है। लोगों की बात आम तौर पर ऐसी होती हैः नीतीश जी 'काम तो किये हैं' लेकिन अब बदलना चाहिए।

सीमांचल और कोसी में लोग बदलाव की बात खुलकर कर रहे हैं। ये मतदाता आख़िर क्या चाहते हैं? क्यों वे कहते हैं कि काम तो हुए हैं, लेकिन बदलाव चाहिए। अब मुख्यमंत्री ने इसे अपना अंतिम चुनाव घोषित कर दिया है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को सहानुभूति में कितने वोट मिलते हैं।
सीमांचल का इलाक़ा वैसे तो कटिहार से ही शुरू माना जाता है लेकिन इसका असल एहसास वहाँ से ट्रेन की दो घंटे के सफर के बाद किशनगंज से शुरू होता है।
किशनगंज वास्तव में दो तरह से सीमांचल का हिस्सा है। एक तो इसकी सीमा के बाद बंगाल शुरू होता है और इसकी सीमा बांग्लादेश से भी मिलती है।