उपेंद्र कुशवाहा की अगुआई वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जनता दल यूनाइटेड में रविवार को विलय हो गया। जनता दल यूनाइटे़ड के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा को तत्काल जनता दल राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष घोषित कर दिया।
विलय के समय उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "हम लोगों ने फ़ैसला लिया है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का काफ़िला अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करेगा। देश और राज्य की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।"
'कोई शर्त नहीं'
विलय के पहले ही उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई देते हुए कहा था कि जेडीयू में शामिल होने के लिए उन्होंने कोई शर्त नहीं रखी है। इससे पहले शनिवार को पटना में हुई एक बैठक में रालोसपा के राज्य परिषद ने विलय के फ़ैसले लेने के लिए राष्ट्रीय परिषद को अधिकृत किया था। रविवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में विलय पर मुहर लगा दी गई।
बता दें कि इसके पहले शुक्रवार को रालोसपा के 30 से अधिक राज्य और ज़िला स्तर के पदाधिकारी राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गये थे। रालोसपा छोड़ने वाले 35 सदस्यों में से अधिकतर बिहार और झारखंड के राज्य स्तर के पदाधिकारी थे। इनमें से अधिकतर पदाधिकारी मुंगेर और पटना ज़िले के थे। इस मौके पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था, "शायद कुशवाहा के विचार अब अचानक बदल गए हैं।"
2013 में बनाई थी आरएलएसपी
कुशवाहा कभी नीतीश कुमार के ही साथ थे। लेकिन मार्च 2013 में उन्होंने आरएलएसपी का गठन किया था और 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में तीन सीटें जीती थीं। उसके बाद वे मोदी सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन 2019 में सीट बंटवारे से नाख़ुश होकर उन्होंने एनडीए छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने यूपीए के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी।
2020 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा ने कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया था। इस फ्रंट में बीएसपी, एआईएमआईएम सहित कुछ और दल शामिल थे। कुशवाहा इस फ्रंट की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे।
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