एलजेपी सांसद और चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। यह चुनाव गुरूवार को पटना में एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में किया गया। पारस को कुछ दिन पहले एलजेपी संसदीय दल का नेता भी चुना गया था हालांकि चिराग पासवान ने कहा है कि पारस को नेता चुने जाने की प्रक्रिया पार्टी के संविधान के हिसाब से ग़लत है। उन्होंने कहा है कि संसदीय दल का नेता चुनने की शक्ति केंद्रीय संसदीय बोर्ड के पास है।
चिराग बनाम पशुपति पारस गुट
पशुपति पारस के संसदीय दल का नेता बनने के साथ ही पार्टी की कमान भी अपने हाथ में लेने के बाद माना जा रहा है कि एलजेपी में चिराग गुट बनाम पशुपति पारस गुट के बीच कलह और बढ़ेगी क्योंकि पार्टी के दोनों बड़े पद चाचा के पास हैं और चिराग को छोड़कर बाक़ी सांसद भी उनके साथ हैं। इससे बिहार में चिराग और पशुपति पारस गुट के कार्यकर्ताओं के बीच तनातनी और बढ़ सकती है।
सांसदों की बग़ावत
कुछ दिन पहले ही पशुपति पारस की अगुवाई में एलजेपी के पांच सांसदों ने बग़ावत कर दी थी। बग़ावत करने वाले सांसदों में पशुपति पारस के अलावा उनके बेटे प्रिंस राज और तीन अन्य सांसद- चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली शामिल हैं। इन सांसदों ने पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता चुनने के बाद सूरजभान सिंह को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष भी चुना था।
इसके बाद चिराग ने पलटवार किया था और इन पांचों सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया था। बग़ावत के बाद से ही पटना और दिल्ली में एलजेपी के कार्यकर्ताओं का चिराग पासवान के समर्थन में प्रदर्शन जारी है जबकि बाग़ी गुट के कार्यकर्ता भी मैदान में उतर रहे हैं।
बिहार चुनाव को लेकर किचकिच
चिराग का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने नतमस्तक होना पड़ता जो कि उनकी नीतियों के ख़िलाफ़ था, इसलिए वह अकेले चुनाव मैदान में उतरे। जबकि पशुपति पारस कह चुके हैं कि बिहार चुनाव में एलजेपी का अकेले लड़ने का फ़ैसला एकतरफ़ा था और इससे पार्टी को सियासी नुक़सान हुआ है।
‘पीठ पीछे षड्यंत्र बुना’
चिराग ने कहा है कि जब वे बिस्तर पर थे, बीमार थे तब उनकी पीठ पीछे यह षड्यंत्र बुना गया जबकि उन्होंने बिहार चुनाव के बाद से ही चाचा से बात करने की लगातार कोशिश की और होली के दिन एक पत्र भी लिखा।
चिराग ने ट्विटर पर एक पत्र जारी किया था। इसमें लिखा है कि पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा को उनका मार्गदर्शन करना चाहिए था लेकिन चाचा ने उनसे बात करना ही बंद कर दिया।
ओम बिड़ला को लिखा पत्र
चिराग ने बुधवार को लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखकर अपील की है कि वे पशुपति पारस को एलजेपी के संसदीय दल का नेता चुनने के फ़ैसले पर पुनर्विचार करें और उनके पक्ष में नया सर्कुलर जारी करें जिसमें उनके ही लोकसभा में संसदीय दल का नेता होने की बात लिखी हो।
उन्होंने इस पत्र में एलजेपी के संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला दिया है और इसमें वही बात कही गई है जिने उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा है। अनुच्छेद 26 के मुताबिक़, एलजेपी में केंद्रीय संसदीय बोर्ड इस बात का फ़ैसला करता है कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा। चिराग ने लिखा है कि इस तरह पशुपति पारस का संसदीय दल का नेता चुना जाना पार्टी के संविधान के ख़िलाफ़ है।
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