दो साल पहले महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण जब 50 फ़ीसदी से ज़्यादा हुआ तो सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के लिए संसद में क़ानून बनाना पड़ा। तमिलनाडु में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आरक्षण संविधान में एक संशोधन के तहत दिया गया है। तो सवाल है कि बिहार में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आरक्षण क्या संभव है? क्या सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय नियमों के तहत बिहार में 65 फीसदी जातिगत सर्वेक्षण मान्य हो पाएगा?