बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार राजद से दूरी बनाते दिख रहे हैं। पटना के राजनैतिक गलियारे में चर्चा इस बात की है कि राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने सीएम नीतीश कुमार को शुक्रवार की शाम कई बार फोन किया लेकिन उन्होंने उनके फोन को रिसिव नहीं किया है।
सूत्रों का दावा है कि शुक्रवार की शाम लालू यादव ने नीतीश कुमार को 5 बार फोन मिलाया है, लेकिन नीतीश कुमार से उनकी बात नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि लालू यादव इस पूरे राजनैतिक घटनाक्रम के बीच एक बार नीतीश कुमार से बातचीत कर उनकी नाराजगी दूर करना चाहते थे।
लालू चाह रहे थे कि नीतीश कुमार को इस बात के लिए मनाया जा सके कि वह भाजपा के पाले में न जाएं। वहीं नीतीश अभी इस घटनाक्रम पर लालू यादव से कोई बात नहीं करना चाहते हैं।
इससे पहले 2017 में भी नीतीश कुमार ने महागठबंधन को छोड़ कर एनडीए का दामन थाम लिया था। तब अलग होने से पहले नीतीश कुमार ने लालू यादव को फोन किया था। उस समय नीतीश ने लालू यादव से कहा था कि आपका साथ यही तक था। अब हम विदा लेते हैं। उन्होंने लालू यादव से कहा था कि आपके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा।
वहीं दूसरी तरफ इस राजनैतिक उठापटक पर जदयू और राजद दोनों ही के खेमे में खामोशी छाई है। कोई भी नेता खुल कर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। सभी नेता गोलमोल जवाब दे रहे हैं। भाजपा नेता भी अभी इस मामले पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं।
हालांकि भाजपा के कई नेताओं ने इशारों-इशारों में संकेत दे दिया है कि भाजपा के दरवाजे नीतीश कुमार के लिए एक बार फिर खुल चुके हैं। भाजपा के नेताओं ने नीतीश कुमार पर हमला करना भी फिलहाल बंद कर दिया है।
गणतंत्र दिवस समारोह में भी दिखी संवादहीनता
इससे पहले खबरें आ रही थी कि नीतीश कुमार और लालू यादव में बातचीत नहीं हो रही है। तेजस्वी यादव से भी सीएम नीतीश कुमार की संवादहीनता तब दिखी जब पटना के गांधी मैदान में गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह में दोनों नेता करीब डेढ़ घंटा साथ रहे लेकिन उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी।
शाम में राजभवन में राज्यपाल की टी - पार्टी में नीतीश कुमार तो पहुंचे लेकिन तेजस्वी नहीं पहुंचे। इसमें राजद से आने वाले विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी भी नहीं पहुंचे थे।राजद कोटे से आने वाले अन्य मंत्री भी इसमें जब नहीं पहुंचे तो इसकी खबरें आने लगी। इसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री और राजद नेता आलोक मेहता कुछ देर के लिए पहुंचे लेकिन वह भी जल्दी ही राजभवन से निकल गए।
इस दौरान तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी को लेकर जब सीएम नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो नहीं आए हैं उनसे ही पूछिए। सीएम के बगल की एक कुर्सी पर तेजस्वी यादव के नाम की पर्ची लगी थी, जिसे बाद में हटा दिया गया।
इस कुर्सी पर जेडीयू नेता अशोक चौधरी बैठ गए। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजभवन में टी पार्टी आयोजित करने की पुरानी परंपरा रही है लेकिन यह पहली बार है कि सत्ता पक्ष के एक धरे के प्रमुख नेता इस तरह से अनुपस्थित रहे हैं।
इस बीच लालू यादव ने राबड़ी देवी के आवास पर राजद नेताओं की शुक्रवार की शाम बैठक बुलाई थी। इसमें पूरे राजनैतिक हालात की चर्चा की गई है। माना जा रहा है कि नीतीश के भाजपा के साथ होने की स्थिति में राजद सरकार बनाने का दावा कर सकता है। सूत्रों का दावा है कि राजद ने हम पार्टी को अपनी ओर मिलाने के लिए बड़े पद का ऑफर दिया है, साथ ही जदयू को तोड़ने की भी कोशिश कर रहा है।
इस बीच जेडीयू ने भी 28 जनवरी को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है। यह बैठक सीएम आवास पर होगी। सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार इस बैठक में पार्टी के विधायकों को बदली हुई राजनैतिक परिस्थिति से अवगत करा सकते हैं। इस बैठक के बाद बिहार में कभी भी कोई बड़ा उलटफेर हो सकता है।
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