बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बीच गठबंधन को लेकर खींचतान की ख़बरें आती रहती हैं। इस बीच राज्य में हुए उपचुनाव में विधानसभा की 5 सीटों में से सिर्फ़ 1 सीट पर जेडीयू प्रत्याशी जीत हासिल कर सका और वह भी महज 5,000 वोटों से।
बिहार में क्या होगा नीतीश का सियासी भविष्य?
- बिहार
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- 27 Oct, 2019

बिहार में उपचुनाव के परिणाम से बीजेपी नेताओं को यह कहने का मौक़ा मिला है कि मोदी के नेतृत्व को जनता ने स्वीकार किया है, लेकिन नीतीश के नेतृत्व को खारिज कर दिया है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से ही दोनों दलों में खींचतान शुरू हो गई थी। प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी करने वाले नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जेडीयू के सांसद शामिल नहीं किए गए। नीतीश ने तब मंत्रिमंडल में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने की बात कही थी। उसके बाद नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो उन्होंने बीजेपी के कोटे से एक भी मंत्री नहीं बनाया।
उपचुनावों के पहले भी दोनों दलों के बीच खींचतान बनी रही। बीजेपी के बिहार के कुछ नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व पर न सिर्फ़ सवाल उठाते रहे हैं, बल्कि उन्होंने यह विचार भी व्यक्त किया है कि बीजेपी को अगला चुनाव जेडीयू से अलग होकर लड़ना चाहिए। हालांकि उपचुनाव से ठीक पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक चैनल को दिए गए साक्षात्कार में नीतीश कुमार का पक्ष लेते हुए कहा कि बिहार का अगला विधानसभा चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। शाह ने कहा कि दोनों दलो के बीच कोई खींचतान नहीं है और यह गठबंधन अटल है।