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क्रांति के नाम पर माओवादी हिंसा और क्रूरता का एक उदाहरण बिहार के गया ज़िले में सामने आया है। माओवादियों ने एक कंगारू कोर्ट के फ़ैसले के बाद एक ही परिवार के चार लोगों को फाँसी की सजा दे दी और उनके घर को विस्फोटकों से उड़ा दिया।
'एनडीटीवी' के अनुसार, डुमरिया थाना क्षेत्र के मोनबार गाँव में कथित जन अदालत में सुनवाई और फौरी फ़ैसले के बाद सत्येंद्र सिंह भोक्ता, मानवेंद्र सिंह भोक्ता और उन दोनों की पत्नियों को उनके घर के बाहर ही फाँसी पर लटका दिया गया और उनके घर को डाइनामाइट लगा कर उड़ा दिया गया।
इसके पहले उनके घर के बाहर पोस्टर चिपकाया गया था, जिसमें कहा गया था कि चार माओवादियों अमरेश कुमार, सीता कुमार, उदय कुमार और शिवपूजन कुमार को ज़हर देकर मार दिया गया। इस कांड में त्येंद्र सिंह भोक्ता, मानवेंद्र सिंह भोक्ता और उन दोनों की पत्नियों की भूमिका थी और इस कारण उन्हें सज़ा दी जाएगी।
पिछले साल, मोनबार गाँव में एक पुलिस मुठभेड़ में चार माओवादी मारे गए थे, माओवादियों का कहना है कि यह फ़र्जी मुठभेड़ थी। उनका आरोप है कि इस घर के मालिक ने इन चार माओवादियों को ज़हर दे दिया और उसके बाद पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ कर चारों माओवादियों को मार दिया।
पिछले साल फरवरी में माओवादियों ने गया ज़िले में एक पुल को उड़ा दिया था और पर्चा लगाा कर एनआरसी, सीएए और एनपीआर का विरोध किया था।
माओवादी हिंसा की यह ख़बर ऐसे समय आई है जब महाराष्ट्र में पुलिस के साथ मुठभेड़ में कम से कम 26 माओवादी मारे गए। पुलिस का कहना है कि मारे गए माओवादियों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। मुठभेड़ तब हुई जब पुलिस कमांडो की टीम जंगलों में तलाशी अभियान चला रही थी।
पुलिस ने दावा किया है कि गढ़चिरौली पुलिस के लगभग 100 इलीट सी-60 कमांडो ने ऑपरेशन को अंजाम दिया, लेकिन 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि सी-60 कमांडो के 16 दल थे जिनकी कुल संख्या 500 से अधिक थी।
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