बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में सबसे अधिक 94 सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है। इस चरण के लिए प्रचार में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक के बयान में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला। दूसरी तरफ़ मुंगेर में देवी दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन में पुलिस से भिड़ंत के दौरान एक युवा की मौत पर विपक्षी दलों ने एनडीए को घेरने का प्रयास किया है।
वैसे, यह चरण महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव, उनके बड़े भाई तेज प्रताप और तलाक़ विवाद के बाद चर्चा में आये तेज प्रताप के ससुर चंद्रिका राय के मैदान में रहने से भी चर्चा में रहेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है क्योंकि इसमें उसकी सबसे अधिक जीती हुई सीटें हैं। इस चरण में उसके 43 उम्मीदवार मैदान में होंगे। जदयू के कुल 115 उम्मीदवारों में 35 पहले और 37 आख़िरी चरण में अपनी क़िस्मत आजमा रहे हैं।
2015 में महागठबंधन में रहते हुए दूसरे चरण की सीटों में से जदयू ने 30 सीटें जीती थीं जबकि उसकी कुल जीती सीटें 71 थीं। इस बार एनडीए में वापसी के बाद दूसरे चरण की सीटों पर उसने 19 नये प्रत्याशियों को टिकट दिये हैं। जदयू को इन सभी 43 सीटों पर दोतरफ़ा मुक़ाबले का सामना है। एक तरफ़ महागठबंधन के उम्मीदवार जदयू के उम्मीदवारों को टक्कर देंगे तो दूसरी तरफ़ एनडीए से आख़िरी वक़्त में अलग हुई लोजपा के उम्मीदवार वोट काटकर उसकी नींद हराम करेंगे।
बीजेपी ने इस चरण में जदयू से तीन सीट अधिक यानी 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं लेकिन इनमें उसकी जीती हुई सीटें जदयू से काफ़ी कम हैं। बीजेपी ने 2015 में कुल 53 सीटें ही जीती थीं। इन सीटों में एनडीए की जीती हुई 22 सीटें हैं।
इस चरण के लिए राष्ट्रीय जनता दल ने कुल 56 उम्मीदवार उतारे हैं। इसमें 27 सीटों पर उसे मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों का सामना है और 24 सीटों पर जदयू के प्रत्याशी से उसे टक्कर मिलेगी। शेष पाँच सीटों पर राजद के सामने होगी वीआईपी यानी मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी।
राजद ने इस चरण में 2015 में 33 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस लिहाज से उसके लिए भी यह चरण बेहद महत्वपूर्ण है। इसी चरण में उसके और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव राघोपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने हैं बीजेपी के सतीश कुमार यादव। इस सीट की दिलचस्प बात यह है कि यहाँ से लोजपा के राकेश रौशन भी मुक़ाबले में हैं। हालाँकि चिराग पासवान ने बीजेपी के उम्मीदवार वाली सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं देने का एलान किया था।
इससे तेजस्वी की राह आसान बतायी जा रही है।
तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप आरजेडी के टिकट पर हसनपुर से चुनावी मैदान में हैं जिन्हें जदयू के राजकुमार राय से मुक़ाबला करना है। अपनी बेटी ऐश्वर्या के तेज प्रताप से तलाक़ विवाद के कारण चर्चा में आये चंद्रिका राय सारण के परसा से जदयू के उम्मीदवार हैं। उनके सामने हैं राजद के छोटे लाल राय।
इस चरण में मंत्री जदयू के श्रवण कुमार नालंदा से उम्मीदवार हैं। जिन्ना विवाद के कारण चर्चा में रहे एएमयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मशकूर उस्मानी दरभंगा के जाले से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। पूर्व सांसद अशरफ अली फातमी के पुत्र फराज फातमी दरभंगा ग्रामीण से दबंग माने जाने वाले आरजेडी के ललित यादव से मुक़ाबला कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले चुनावी भाषण में इस बात का दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यूपीए की सरकार ने पहले दस सालों में काम नहीं करने दिया। मगर अपने दूसरे दौर के भाषण में उन्होंने इसे कुछ सुधारते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने डेढ़ दशक में बिहार के विकास के लिए काफ़ी मेहनत की है।
बीजेपी के अन्य प्रमुख नेताओं में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं के विवादास्पद बयान भी सामने आये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी उस भाषा को थोड़ा नियंत्रित किया है जिसके लिए उनकी आलोचना हो रही थी। उन्होंने तेजस्वी यादव की दस लाख नौकरियों के जवाब में उद्यमी योजना के तहत हर बिहारवासी को दस लाख तक की आर्थिक सहायता का वादा किया। पहले यह योजना सामान्य वर्ग के लिए नहीं थी। इसके अलावा नीतीश कुमार ने आबादी के अनुपात में आरक्षण की वकालत कर एक नयी बहस छेड़ दी है। इससे सवर्ण वर्ग का जदयू के प्रति नज़रिया बदल सकता है।
नौकरी देने की घोषणा से चर्चा में रहे तेजस्वी यादव इस बीच ‘बाबू साहब‘ की आलोचना वाले बयान से घिरते नज़र आए। इससे बचाने के लिए आरजेडी के नेताओं ने ‘बाबू साहब‘ की नयी व्याख्या पेश की। सोशल मीडिया पर इस बयान के कारण तेजस्वी को भला-बुरा कहा गया।
बाढ़ का असर!
पहले चरण के मुक़ाबले में यह चरण सत्ताधारी दलों के लिए इसलिए परेशानी में डालने वाला हो सकता है कि इसमें कई जगहों पर बाढ़ ने काफ़ी तबाही मचाई है। बिहार में क़रीब 19 ज़िले बाढ़ प्रभावित रहे है। यहाँ फ़सलों को व्यापक नुक़सान हुआ है। ऐसे में उनकी नाराज़गी अगर मतदान केन्द्रों तक पहुँचती है तो इसका खामियजा एनडीए को भुगतना पड़ सकता है।
समीकरण के लिहाज से आरजेडी और कांग्रेस को जदयू के नहीं होने का नुक़सान जातिगत वोटों के नहीं मिलने से हो सकता है। इसके अलावा उपेन्द्र कुशवाहा के अगुवाई वाले ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट के ओवैसी-देवेन्द्र समर्थक वोटरों के महागठबंधन को कुछ नुक़सान हो सकता है।
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