जिस भारतीय जनता पार्टी ने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस यानी एनआरसी को मुद्दा बना कर असम का चुनाव जीता, उसी के नेता अब खुले आम इसका विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क यह है कि इससे विदेशियों की पड़ताल नहीं हो सकेगी, उनकी शिनाख़्त नहीं हो सकेगी। पार्टी के नेताओं का यह भी कहना है कि कुछ असली भारतीयों के नाम छूट गए हैं जबकि कुछ विदेशियों को इस सूची में शामिल कर लिया गया है। लेकिन मामला इतना आसान भी नहीं है। ऐसा लगता है कि बीजेपी इस मुद्दे पर अपने ही जाल में फँस गई है।
एनआरसी के लिए आंदोलन छेड़ने वाली बीजेपी अब क्यों है इसके ख़िलाफ़?
- असम
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- 31 Aug, 2019
जिस बीजेपी ने एनआरसी को सबसे बड़ा च़ुनावी मुद्दा बनाया था और पूरे राज्य में इसकी लहर फैला दी थी, वह अब नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस का विरोध भला क्यों कर रही है?
