आख़िर हिमंत बिस्व सरमा का असम का मुख्यमंत्री बनना सुनिश्चित हो गया है। चुनाव अभियान शुरू होने के समय से ही इसके साफ़ संकेत मिल रहे थे कि बीजेपी अगर दोबारा सत्ता में लौटी तो हिमंत बिस्व सरमा ही मुख्यमंत्री बनेंगे। चुनाव रणनीति बनाने और टिकटों के बँटवारे से लेकर प्रचार अभियान तक हर जगह सुपर मामा यानी हिमंत की छाप देखी जा रही थी।
हिमंत बन तो गये हैं भावी मुख्यमंत्री, क्या चला पाएँगे असम?
- असम
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- 9 May, 2021

हिमंत के सामने तुरंत कोई बड़ी चुनौती नहीं दिख रही, लेकिन असम चुनौतियों से भरा प्रदेश रहा है। सीएए और एनआरसी अपने आप में बड़ा मसला है ही। बीजेपी की उनसे अपेक्षा होगी कि वे इसे सख़्ती से लागू करें और अधिकाधिक मुसलमानों की नागरिकता साबित न होने दें ताकि उनके आधार पर देश भर में ध्रुवीकरण की राजनीति को गरमाया जा सके।
हिमंत ने चुनाव के दौरान एक वीडियो जारी किया था जिसके बोल थे- आहिसे आहिसे, हिमंत आहिसे.....आखारे बातोरि लोई (आता है आता है हिमंत आता है, आशा का संदेश लाता है)। इसमें न सोनोवाल थे न कोई और। स्पष्ट है कि हिमंत अगर इस तरह का दावा कर रहे थे तो इसलिए कि उन्हें ऊपर से कोई भरोसा दिया गया था।
वास्तव में ऐसा लग रहा था कि बीजेपी हाईकमान ने हिमंत को चुनाव जिताने का ठेका दे रखा है और बदले में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी दी जाएगी। हिमंत ने वह कर दिखाया और अब उन्हें असम की बागडोर सौंप दी गई है। इस बात को सभी ने नोटिस किया कि सोनोवाल को मुख्यमंत्री होने के बावजूद प्रोजेक्ट नहीं किया गया, जबकि उनकी छवि बहुत ख़राब नहीं थी। सोनोवाल ने भी अपने होंठ सी लिए थे, ज़ाहिर है कि उन्हें ऐसा करने के लिए कहा गया होगा।