क्या कहा था मोदी ने?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी है - ये झूठ है, झूठ है, झूठ है।’“
'देश के मुसलमानों को ना डिटेंशन सेन्टर में भेजा जा रहा है, ना हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेन्टर है। भाइयों और बहनों, यह सफेद झूठ है, यह बद-इरादे वाला खेल है, यह नापाक खेल है। मैं तो हैरान हूँ कि ये झूठ बोलने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।’
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, 23 दिसंबर, 2019
डिटेंशन कैंप की योजना चालू है
प्रधानमंत्री के झूठे दावे का खंडन करने के लिए उस समय असम में मौजूद डिटेंशन कैंपों की चर्चा देशी-विदेशी मीडिया में होने लगी थी। गृह मंत्री अमित शाह ने जब पूरे देश में एनआरसी प्रक्रिया लागू करने की बात कही थी, तब आशंका व्यक्त की गई थी कि असम की तरह ही देश भर में डिटेंशन कैंप बनाकर और मुसलमानों को विदेशी बताकर क़ैद करने की योजना पर हिन्दुत्ववादी सरकार काम कर रही थी।सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
16 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए क़ानूनी प्रक्रिया शुरू की और डिटेंशन कैंपों में भीड़भाड़ पर विचार करने के लिए और कोविड -19 के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक दूरी के महत्व को रेखांकित किया। इन निर्देशों के बाद महामारी के दौरान डिटेंशन को चुनौती देने के लिए दो याचिकाएं दायर की गई।क्या है याचिका में?
इसके अलावा याचिका में 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया गया जिसके तहत 'घोषित विदेशियों' के लिए 3 वर्ष या उससे अधिक समय के लिए हिरासत में रहने वाले क़ैदियों की रिहाई की अनुमति दी गई है। यह निम्नलिखित शर्तों के तहत दी जाएगी: 1 लाख रुपये के दो जमानती, ठहरने का एक सत्यापित पता, उनकी पुतलियों का बायोमेट्रिक डेटा और फ़िंगरप्रिंट, और विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा निर्दिष्ट पुलिस स्टेशन पर साप्ताहिक रिपोर्ट करने के लिए प्रतिबद्धता।सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला
अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की कि बंदी सशर्त रिहाई के लिए पात्र होंगे और पात्रता के लिए शर्तों में ढील दी गई। बंदियों को सशर्त रिहाई के लिए पात्र होने के लिए पहले निर्दिष्ट तीन वर्षों के बजाय, दो साल की क़ैद को पर्याप्त माना गया। दूसरे, बंदियों को अब 1 लाख के बजाय 5,000 रुपये की दो ज़मानत देने की ज़रूरत है। इस तरह 376 कैदियों की रिहाई अब तक संभव हो पाई है।असम में छह डिटेंशन कैंप हैं - गोवालपाड़ा, कोकराझार, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिलचर। इनमें में लगभग 900 ‘अवैध विदेशी’ को रखा गया हैं।
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