असम में सिलचर के स्टेडियम और मटिया ट्रांजिट कैंप पर अस्थायी जेल में बदल दिया गया है। यहां पर बाल विवाह कानून के तहत गिरफ्तार हजारों लोगों को ठूंस कर कैद कर दिया गया है। मटिया ट्रांजिट कैंप में विदेशियों को कैद में रखने के लिए बनाया गया है लेकिन उसका इस्तेमाल अब इस तरह हो रहा है। इसी तरह सिलचर में खेल गतिविधि को बढ़ाने देने के लिए कई करोड़ खर्च करके बनाए गए स्टेडियम का इस्तेमाल इस तरह किया जा रहा है। यह जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर में दी गई है।
असम में करीब 2500 से ज्यादा लोग बाल विवाह कानून तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं। असम पुलिस के आईजी प्रशांत कुमार भुयां ने बताया कि जिलों में तमाम जेलों में कैदियों की संख्या बहुत बढ़ गई थी। इसलिए मटिया ट्रांजिट कैंप और सिलचर के फुटबॉल स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलना पड़ा। असम सरकार ने सोमवार को बताया था कि अभी तक 2441 लोगों को इस कानून को तोड़ने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है।
असम कैबिनेट ने 23 जनवरी की बैठक में बाल विवाह कानून के तहत गिरफ्तारियां तेज करने का फैसला लिया था। करीब 15 दिन बीत रहे हैं और 4,074 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
गोद में डेढ़ महीने के बेटे को संभाले निमी ने पीटीआई न्यूज एजेंसी को बताया कि रात करीब दो बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। हमने दरवाजा खोला और पुलिसकर्मियों को बाहर पाया। वे मेरे पति को ले गए। बच्चा उसी समय से लगातार रो रहा है।
17 साल की लड़की ने भागकर गोपाल बिस्वास के साथ शादी कर ली थी। इस समय गोपाल 20 साल का है। निमी और गोपाल पकौड़े तलकर और अन्य नमकीन बेचकर परिवार पाल रहे थे। प्रभावित लोगों की पहचान गुप्त रखने के लिए उनके नाम बदल दिए गए हैं।
गोपाल के बड़े भाई युधिष्ठर ने कहा, हम मुश्किल से अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं। निमी और उसके बेटे की देखभाल कौन करेगा? घर में बुजुर्ग माता-पिता भी हैं।
रेजिना के बेटे राजीबुल हुसैन को शाम करीब 6 बजे उनके घर से उठाया गया था। वो चंद मिनट पहले अपने पिता के साथ केरल से लौटे थे। वो लोग अपने घायल चाचा को केरल से वापस लाने गए थे।
रेजिना ने कहा कि मेरी बहू कम उम्र की नहीं है, लेकिन उसके आधार कार्ड में कुछ गलती थी, जिस वजह से मेरा बेटा अब सलाखों के पीछे है।
परिवार के एक पड़ोसी ने दावा किया कि राजीबुल की पत्नी शादी के समय नाबालिग नहीं थीं, लेकिन आधार कार्ड के लिए नामांकन करते समय उनकी जन्मतिथि गलत दर्ज की गई थी।
उसने बताया कि पुलिस ने स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों से उम्र का डेटा लिया था, जिनके पास आधार की जानकारी है। अब हम इन महिलाओं को उनके मूल जन्म रिकॉर्ड प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं, ताकि उनके पतियों को जमानत मिल सके।
जहां कुछ को अपने परिवारों से मदद और समर्थन मिल रहा है, वहीं रिया देवी जैसी कई को उनके पतियों की गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया गया है। रिया ने कहा - हमारा कोई और परिवार नहीं है क्योंकि हमने भागकर शादी कर ली थी। अब मैं यहां से अपनी एक साल की बेटी के साथ कहां जाऊं? रिया इस समय ट्रांजिट कैंप में हैं।
एक अन्य कैदी रूपा दास, जो शादी के वक्त 16 साल की थी और नौ महीने की गर्भवती थी, ने भी यही अनिश्चितता साझा की। उसने कहा कि मेरे पति को रिहा किया जाए। हमने सहमति से शादी की थी। अब मैं क्या करूंगी।
राज्य के समाज कल्याण विभाग में जेंडर विशेषज्ञ परिमिता डेका रिया और रूपा जैसों के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, बाल विवाह के खिलाफ अभियान स्वागत योग्य है। लेकिन अब इन महिलाओं के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है। परेशान महिलाओं को शांत करने के लिए डेका ने कहा, हमें उन्हें संवेदनशील तरीके से संभालना होगा और उनके भविष्य को सुरक्षित करना होगा।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, असम में मातृ और शिशु मृत्यु की उच्च दर है। बाल विवाह असली कारण है, क्योंकि राज्य में रजिस्टर्ड विवाहों में औसतन 31 फीसदी कम आयु वर्ग में हैं।
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