एक ओर मोदी सरकार पश्चिम बंगाल के चुनाव में वोटों की फसल काटने के लिए जनवरी से नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) लागू करने की बात कर रही है, दूसरी ओर असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इसके खिलाफ फिर से आंदोलन शुरू हो गया है। पिछले साल नवंबर महीने से ज़ोर-शोर से चल रहा यह आंदोलन इस साल फरवरी में कोरोना के प्रकोप के चलते स्थगित हो गया था।
सीएए की पहली बरसी पर पूर्वोत्तर में फिर आंदोलन
- असम
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- 29 Mar, 2025

अगले साल मार्च-अप्रैल में असम में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले आसू ने सीएए के खिलाफ 'रणहुंकार' अभियान की शुरुआत की है। आसू ने कहा है कि केंद्र सरकार को इस असम विरोधी कानून को निरस्त करना ही होगा। आसू ने छह साल तक विदेशियों के खिलाफ असम आंदोलन (1979-1985) का नेतृत्व किया था।
सीएए के आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने पर शुक्रवार को अखिल असम छात्र संघ (आसू), उत्तर पूर्व छात्र संगठन (नेसो), कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (अजायुछाप) सहित कई संगठनों की अगुवाई में इस विवादास्पद कानून के खिलाफ असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुआ और इसे निरस्त करने की मांग की गई।