तिरुपति मंदिर के लड्डू में पशु वसा और मछली के तेल के इस्तेमाल का जो आरोप लग रहा है, क्या वह सही नहीं है? मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने दिप्रिंट से कहा है कि 'मिलावटी घी जुलाई में आया था, लेकिन इसका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ।' उनका यह बयान तब आया है जब मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के तिरुपति लड्डू में मिलावट के दावे की जांच हो रही है।
यह विवाद तब सामने आया है जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पिछली वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने तिरुमाला में लड्डू प्रसादम तैयार करने के लिए घी की जगह पशु की वसा का इस्तेमाल किया था। कथित तौर पर इसकी पुष्टि एक निजी लैब की रिपोर्ट में हुई है। गुजरात में केंद्र द्वारा संचालित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र या सीएएलएफ़ की प्रयोगशाला की 17 जुलाई की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट को हाल ही में जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि वाईएसआरसीपी के सत्ता में रहने के दौरान प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा पाई गई।
इनके आरोपों के बाद नायडू के बेटे नारा लोकेश सहित आंध्र प्रदेश सरकार के कई मंत्री और नेताओं ने जगन रेड्डी पर हमला बोला। यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी। अब सवाल उठ रहा है कि इस मामले में आख़िर क्या-क्या हुआ? क्या मिलावटी पाए गए घी का उपयोग वास्तव में तिरुपति मंदिर में प्रतिष्ठित प्रसादम तैयार करने के लिए किया गया था?
रिपोर्ट के अनुसार 12 जून को नायडू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के गठन के कुछ दिनों बाद ही ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभालने वाले श्यामला राव के अनुसार जिस घी में मछली के तेल, चर्बी और गोमांस की चर्बी के अलावा वनस्पति तेल जैसे अन्य तत्व भी मिले होने की बात कही जा रही है, उसकी आपूर्ति जुलाई में की गई थी।
श्यामला ने कहा कि उस समय टीटीडी को घी की आपूर्ति करने वाली पांच एजेंसियों में से केवल एआर डेयरी के टैंकरों से जुटाए गए नमूने ही असामान्य रूप से निम्न गुणवत्ता के पाए गए।
कंपनी ने उस रिपोर्ट पर सवाल उठाया है जिस पर मिलावट का आरोप लगा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड के गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी कन्नन ने शुक्रवार को एक तमिल समाचार चैनल को दिए अपने बयान में आरोपों को निराधार बताया। कन्नन ने कहा, 'हमारे घी के नमूनों का परीक्षण पहले राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में किया जाता है, उसके बाद उन्हें टीटीडी को भेजा जाता है। पहुंचने पर टीटीडी का अपना खाद्य सुरक्षा अधिकारी फिर से नमूनों की जांच करता है।'
बता दें कि शुक्रवार को तिरुमाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए श्यामला ने कहा था कि नमूनों को टीटीडी के इतिहास में पहली बार परीक्षण के लिए बाहरी प्रयोगशालाओं में भेजा गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी सहित वाईएसआरसीपी के नेता और विशेषज्ञ अब नायडू के दावों पर सवाल उठा रहे हैं। शुक्रवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए जगन ने बताया कि जब मिलावटी घी की आपूर्ति की गई थी, तब नायडू ही सत्ता में थे और नमूने जुटाए गए थे और उनकी जांच की गई थी। उन्होंने नायडू के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, 'दुर्भाग्य से सीएम एक खारिज किए गए स्टॉक की परीक्षण रिपोर्ट से विवाद पैदा कर रहे हैं।' नायडू सरकार के पिछले कार्यकाल (2014-2019) के दौरान मुख्य सचिव रहे आई.वाई.आर. कृष्ण राव ने दिप्रिंट से कहा, 'अगर सीएम के दावे एनडीडीबी की रिपोर्ट के बाद खारिज किए गए लॉट पर आधारित हैं, तो तिरुपति के लड्डू में पशु वसा के उनके आरोप निराधार हैं।'
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