जगन रेड्डी ने तिरुपति लड्डू विवाद पर चंद्रबाबू नायडू के आरोपों को झूठ क़रार दिया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने खुलेआम झूठ फैलाया है। पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर यह आरोप लगाया है।
तिरुपति के लड्डू बनाने में पशु वसा के इस्तेमाल के आरोपों पर उठे विवाद के बीच जगन मोहन रेड्डी ने नायडू पर 'विशुद्ध रूप से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए' करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। पीएम को लिखे ख़त में जगन रेड्डी ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी बोर्ड की पवित्रता को धूमिल करने का सीएम पर आरोप मढ़ा है। प्रधानमंत्री मोदी को भेजी गई लंबी-चौड़ी चिट्ठी को एक्स पर साझा किया गया है।
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— Jagananna Connects (@JaganannaCNCTS) September 22, 2024
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। ऐसा इसलिए कि उन्होंने तिरुपति मंदिर में प्रसाद में मिलावट के लिए वाईएसआरसीपी पर आरोप लगाया था।
जगन रेड्डी ने पत्र में कहा, 'भगवान वेंकटेश्वर के न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में करोड़ों हिंदू भक्त हैं और यदि इस नाजुक स्थिति को सावधानी से नहीं संभाला गया तो ये झूठ व्यापक पीड़ा पैदा कर सकते हैं, जिसके विभिन्न मोर्चों पर दूरगामी परिणाम होंगे।' उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से सच्चाई को सामने लाने और भक्तों का विश्वास और आस्था बहाल करने का आग्रह किया।
जगन रेड्डी की यह चिट्ठी तब आई है जब कथित तौर पर मिलावट वाले घी के तिरुपति मंदिर के लड्डू में इस्तेमाल नहीं किए जाने की रिपोर्टें सामने आ रही हैं। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने कहा है कि 'मिलावटी घी जुलाई में आया था, लेकिन इसका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ।'
12 जून को नायडू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के गठन के कुछ दिनों बाद ही ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभालने वाले श्यामला राव के अनुसार जिस घी में मछली के तेल, चर्बी और गोमांस की चर्बी के अलावा वनस्पति तेल जैसे अन्य तत्व भी मिले होने की बात कही जा रही है, उसकी आपूर्ति जुलाई में की गई थी।
तमिलनाडु की एआर डेयरी द्वारा आपूर्ति किए गए 10 टैंकरों में से, चार टैंकरों में गाय का घी टीटीडी विशेषज्ञों द्वारा घटिया गुणवत्ता का पाया गया। इन चार टैंकरों से नमूने जुटाए गए थे। इनमें से दो 6 जुलाई को और अन्य 12 जुलाई को आए थे। उन्हें मिलावट की जाँच के लिए आनंद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड यानी एनडीडीबी के सीएएलएफ में भेजा गया था। श्यामला ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, 'उस घी का कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था, 100 प्रतिशत।' उन्होंने कहा कि एनडीडीबी सीएएलएफ रिपोर्ट में पशु और वनस्पति की वसा पाए जाने के बाद चार टैंकरों को अलग रखा गया और एआर डेयरी को वापस भेज दिया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी सहित वाईएसआरसीपी के नेता और विशेषज्ञ अब नायडू के दावों पर सवाल उठा रहे हैं। रेड्डी ने कहा है कि संभवतः मिलावटी घी वाला टैंकर 12 जुलाई को तिरुपति पहुंचा, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया और प्रसाद बनाने के लिए उसका इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने लिखा, 'टीटीडी में दशकों से चली आ रही सख्त कार्यप्रणाली संदिग्ध गुणवत्ता की पहचान कर सकती थी और इसलिए घी का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस सुखद परिदृश्य के बावजूद नायडू ने लापरवाही से यह टिप्पणी की कि तिरुमाला के लड्डू घी से नहीं बल्कि जानवरों की चर्बी से बनाए गए थे।'
पूर्व मुख्यमंत्री ने मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की नीतियों और प्रक्रियाओं की मजबूती पर जोर दिया। घी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जांच के बारे में उन्होंने कहा कि मंदिर पहुंचने वाले हर टैंकर के पास एनएबीएल यानी नेशनल अक्रेडिटेशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड कैलिबरेशन लोबोरेट्रीज द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों से घी की शुद्धता का प्रमाण पत्र होना चाहिए।
नायडू के आरोप
बता दें कि यह विवाद तब सामने आया जब चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पिछली वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने तिरुमाला में लड्डू प्रसादम तैयार करने के लिए घी की जगह पशु की वसा का इस्तेमाल किया था। कथित तौर पर इसकी पुष्टि एक निजी लैब की रिपोर्ट में हुई है। गुजरात में केंद्र द्वारा संचालित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र या सीएएलएफ़ की प्रयोगशाला की 17 जुलाई की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट को हाल ही में जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि वाईएसआरसीपी के सत्ता में रहने के दौरान प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा पाई गई।
इनके आरोपों के बाद नायडू के बेटे नारा लोकेश सहित आंध्र प्रदेश सरकार के कई मंत्री और नेताओं ने जगन रेड्डी पर हमला बोला। यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी। अब सवाल उठ रहा है कि इस मामले में आख़िर क्या-क्या हुआ? क्या मिलावटी पाए गए घी का उपयोग वास्तव में तिरुपति मंदिर में प्रतिष्ठित प्रसादम तैयार करने के लिए किया गया था?
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