आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद कालिसेट्टी अप्पलनायडु की एक घोषणा ने राज्य में तहलका मचा दिया है। एक कार्यक्रम में सांसद ने कहा कि यदि कोई महिला तीसरे बच्चे को जन्म देती है और वह बच्ची होती है, तो उन्हें अपनी सैलरी से 50,000 रुपये दिए जाएंगे। वहीं, अगर तीसरा बच्चा लड़का हुआ, तो महिला को एक गाय दी जाएगी।
अप्पलनायडु की यह घोषणा राज्य में वायरल हो गई है।आंध्र प्रदेश में घटती युवा आबादी और इसे बढ़ाने की जरूरत पर चर्चा तेज हो गई है। मीडिया से बात करते हुए अप्पलनायडु ने कहा, "मेरी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायडु के उन आह्वानों का अनुसरण करती है, जिसमें जनसंख्या वृद्धि के लिए कदम उठाने और तीसरे बच्चे के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि की बात कही गई है। हम महिलाओं से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं और अगर तीसरा बच्चा पैदा होता है तो हम प्रोत्साहन देंगे।"
प्रकाशम जिले के मार्कापुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायडु ने घोषणा की कि सभी महिला कर्मचारियों को बच्चों की संख्या की परवाह किए बिना प्रसव के दौरान मातृत्व अवकाश दिया जाएगा। महिलाओं को संदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उन्हें जितना संभव हो उतने बच्चे पैदा करने चाहिए ताकि आने वाले वर्षों में राज्य में युवा आबादी बढ़े।
टीडीपी का कहना है कि यह योजना राज्य में जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। आंध्र प्रदेश में जन्म दर (Fertility Rate) में कमी और बढ़ती उम्रदराज आबादी (Ageing Population) को लेकर चिंता जताई जा रही है। यह कदम सामाजिक और आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए उठाया गया है, ताकि भविष्य में श्रम शक्ति की कमी न हो।
परिसीमन से क्या संबंधः यदि आंध्र प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर कम रही, तो भविष्य के परिसीमन में राज्य को मिलने वाली लोकसभा सीटों की संख्या में कमी आ सकती है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश के पास 25 लोकसभा सीटें हैं। जनसंख्या में कमी से यह संख्या घट सकती है, जिससे राज्य का राष्ट्रीय स्तर पर उसका राजनीतिक प्रभाव कम हो सकता है। टीडीपी और उसके सहयोगी दलों का मानना है कि जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देकर वे राज्य की लोकसभा सीटों को बनाए रखने या बढ़ाने में सक्षम हो सकते हैं।
दक्षिण बनाम उत्तर का संतुलन:
भारत के उत्तरी राज्यों (जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार) में अभी भी अपेक्षाकृत उच्च जन्म दर है, जबकि दक्षिणी राज्य (आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल आदि) कम जन्म दर का सामना कर रहे हैं। परिसीमन के बाद उत्तरी राज्यों को अधिक सीटें मिलने की संभावना है, जिससे दक्षिणी राज्यों का संसदीय प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। टीडीपी इस योजना के जरिए इस असंतुलन को कम करने की कोशिश कर रही है।
अगला परिसीमन 2026 के बाद होने की संभावना है, जो 2031 की जनगणना पर आधारित होगा। यदि अभी से जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित किया जाए, तो अगले दो दशकों में आंध्र प्रदेश की जनसंख्या में बढ़ोतरी हो सकती है, जो परिसीमन में राज्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
टीडीपी और बीजेपी के कुछ नेताओं ने इस योजना का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए जरूरी है। कुछ स्थानीय लोगों ने इसे परिवारों के लिए आर्थिक सहायता के रूप में भी देखा है।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP), ने इसे "जनता को गुमराह करने वाला कदम" करार दिया है। उनका तर्क है कि यह योजना संसाधनों का दुरुपयोग है और इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर ध्यान कम हो सकता है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इसे लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाला बताया, क्योंकि बेटियों और बेटों के लिए अलग-अलग पुरस्कार तय किए गए हैं।
जनसंख्या विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना अल्पकालिक लाभ दे सकती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से जनसंख्या नियंत्रण और सतत विकास के लक्ष्यों के खिलाफ जा सकती है।
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