लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा एनडीए का कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में वह आंध्र प्रदेश की बड़ी राजनैतिक शक्ति तेलगू देशम पार्टी या टीडीपी से गठबंधन कर सकती है।
सूत्रों का दावा है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर अंदरखाने बातचीत चल रही है। गठबंधन की खातिर ही गुरुवार 7 मार्च को टीडीपी सुप्रीमों और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू ने गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के दूसरे शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है।
दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है। अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को सहमति बन जाती है तब इनके बीच गठबंधन हो सकता है।
भाजपा की कोशिश कभी एनडीए का मजबूत हिस्सा रहे दलों को वापस लाना है। इस कड़ी में बिहार की जेडीयू को वह पहले ही अपने पाले में ला चुकी है। अब ओडिशा की बीजेडी को एनडीए में शामिल कराने को लेकर बातचीत कई दिनों से चल रही है।
उम्मीद की जा रही है कि बीजेडी भी एनडीए में शामिल हो सकती है। ऐसा हुआ तो ओडिशा में भाजपा मजबूत बनकर उभरेगी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए भाजपा दक्षिण भारत से कभी अपने बेहद मजबूत सहयोगी रहे चंद्रबाबू नायडू को एनडीए में वापस लाना चाहती है। वह अटल बिहारी वाजपेई के समय से ही एनडीए का हिस्सा रहे हैं।
अपनी बढ़ती उम्र के कारण भी वह पहले जितना राजनीति में सक्रिय नहीं रह पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें लग रहा है कि भाजपा से गठबंधन करना उनके और उनकी पार्टी के हित में होगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा आंध्र प्रदेश में अपने पैर जमाना चाहती है। इसके लिए टीडीपी से गठबंधन जरूरी है। यही कारण है कि भाजपा अब चंद्रबाबू नायडू का एनडीए में स्वागत करने के लिए तैयार दिख रही है।
चंद्रबाबू नायडू करीब 6 वर्ष पहले एनडीए को छोड़ चुके हैं, लेकिन अब बदली हुई राजनैतिक परिस्थितियों ने उन्हें भाजपा के करीब आने पर मजबूर कर दिया है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कभी आंध्र प्रदेश के ताकतवर सीएम रहे चंद्रबाबू नायडू आज राजैनतिक तौर पर काफी कमजोर हो चुके हैं। उनकी पार्टी सत्ता से बाहर है और उनका जनाधार भी तेजी से कम होता जा रहा है।
कभी एनडीए का मजबूत हिस्सा थी टीडीपी
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बातचीत की है। ।उनकी भाजपा शीर्ष नेतृत्व से हुई इस बातचीत के बाद इस बात की अटकले फिर तेज हो गई हैं कि आंध्रप्रदेश में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए दोनों दलों के बीच फिर से गठबंधन हो सकता है।
अब एक बार फिर दोनों पार्टियां एक साथ आने के लिए तैयार हैं। लेकिन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर कोई अंतिम फैसला तभी हो सकता है जब सीटों के बंटवारे को लेकर कोई कोई सहमति बन जाए।
टीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर अगले एक-दो दिन में आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्रप्रदेश की प्रमुख पार्टी टीडीपी 2018 तक भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
चंद्रबाबू नायडू के साथ भाजपा नेताओं की बातचीत का मुख्य फोकस संभावित गठबंधन और सीट बंटवारे की पेचीदगियों पर रहा
आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं और विधानसभा की 175 सीटें हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि यहां भाजपा आठ से दस संसदीय क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की इच्छुक है। हालांकि, अगर गठबंधन होता है तो भाजपा पांच से छह लोकसभा सीटों पर समझौता कर सकती है, जिसमें पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जन सेना पार्टी (जेएसपी) तीन पर चुनाव लड़ेगी और टीडीपी शेष पर कब्जा रखेगी।
एनडीए की पूर्व सदस्य जेएसपी पहले ही टीडीपी से हाथ मिला चुकी है और सक्रिय रूप से भाजपा से भी ऐसा करने का आग्रह कर रही है। पवन कल्याण स्वयं अमित शाह के साथ बैठक में शामिल हुए।
आगामी लोकसभा चुनाव में निर्णायक जीत की उम्मीद कर रही भाजपा एनडीए का विस्तार करने की दिशा में काम कर रही है। अपने दम पर 370 सीटें और सहयोगी दलों के साथ 400 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ, पार्टी अपने एजेंडे के अनुरूप क्षेत्रीय दलों के साथ साझेदारी को सफलता के लिए महत्वपूर्ण मानती है। आंध्र प्रदेश के अलावा, भाजपा द्वारा ओडिशा में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजेडी) के साथ चुनावी समझौते की घोषणा करने की भी जल्द ही उम्मीद है।
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