आख़िरकार उच्चतम न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को दिए गए आरक्षण पर मुहर लगा दी। बाबरी मसजिद मामले, गुजरात के जाकिया जाफरी मामले में इसके पहले के उच्चतम न्यायालय के फ़ैसलों को देखते हुए सोशल मीडिया पर पहले से चर्चा थी कि यह फ़ैसला भी सरकार के पक्ष में जाएगा। न्यायालय ने अधिकतम 50 प्रतिशत आरक्षण होने का दायरा भी तोड़ दिया है, जिसके आधार पर वह जाट, मराठा, पाटीदार, कापू आदि आरक्षणों को खारिज करता रहा है। अब आने वाले दिनों में तमाम सवाल खड़े होने जा रहे हैं।