इंडिया गठबंधन का शीराजा बिखर रहा है। बोलचाल की भाषा में आप कह सकते हैं कि 'रायता फैलने ही वाला है' और इसका श्रेय जाएगा समाजवादी पार्टी के खाते में। समाजवादी पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारकर इसकी शुरुआत कर चुकी है। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा है, ‘मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छह सीटों को छोड़ने का आश्वासन दिया था लेकिन एक भी सीट नहीं छोड़ी।’

क्या इंडिया गठबंधन दलों के बीच वैसा कुछ होने के आसार हैं जैसा बीजेपी चाहती है? सपा नेता अखिलेश यादव के तेवर से क्या लगता है?
अखिलेश ने संकेत दिए कि दिल्ली के गठबंधन पर सपा भी यही व्यवहार करेगी।' जाहिर है कि भविष्य में यही होकर रहेगा। समाजवादियों का नैसर्गिक स्वभाव है कि वे एक होकर न रह सकते हैं और न किसी के साथ चल सकते हैं। समाजवादी विचारधारा के अनुसार नि:स्वार्थ सेवा, त्याग और आध्यात्मिक प्रवृत्ति - इनमें शोषक और शोषित के लिए कोई स्थान नहीं। यदि किसी के पास कोई संपत्ति है तो वह समाज की धरोहर मात्र है, देखा जाये तो इसके अनुसार सभी लोग एक समान स्थिति में होने चाहिए। सबके लिए समानता। किन्तु आज देश के तमाम समाजवादियों का आचरण इस स्थापित सिद्धांत के ख़िलाफ़ है। फिर चाहे वे कहीं के समाजवादी हों।