सातवें चरण का चुनाव आते-आते प्रधानमंत्री और इस चुनाव के सबसे बड़े स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी का स्वर और तीखा हुआ है और वे अपने शासन के दस साल की उपलब्धियों की चर्चा करके चार सौ पार करने और 2047 में भारत को विश्व शक्ति बनाने से लेकर विश्व गुरु जैसी बातें करना छोड़कर घनघोर सांप्रदायिक प्रचार में जुट गए हैं। इसमें वह ऐसी-ऐसी बातें कहने और करने लगे हैं जिसे किसी प्रधानमंत्री के मुंह से सुनने का अभ्यस्त हम में से कोई नहीं रहा है। विपक्ष द्वारा सत्ता में आने पर हिन्दू महिलाओं का मंगलसूत्र छीनने से लेकर भैंस खोलने तक की बातें अब पुरानी हो गई हैं। अब तो मुजरा करने और विपक्ष के शहजादों को पाकिस्तान से समर्थन से लेकर विपक्ष के सत्ता में आने पर हिंदुओं के दोयम दर्जे का नागरिक बनाए जाने की बातें भी वे करते हैं।
7वाँ चरण आते-आते पीएम के चुनाव प्रचार से क्या मिलता है संकेत?
- विश्लेषण
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- 30 May, 2024

भाजपा के पास जो हथियार हैं उनमें हिन्दू ध्रुवीकरण उसके लिए सबसे प्रभावी रहा है और हिंदुस्तान-पाकिस्तान भी उसे विमर्श का एक विस्तार है।
उनके पीछे पीछे भाजपा की बाकी फौज भी लगी है। अब विपक्ष के परिवारवाद और भ्रष्टाचार की चर्चा भी नहीं हो रही है और न उसके जातिवाद की। इतना सीधा-सीधा हिन्दू-मुसलमान करना प्रधानमंत्री को शोभा नहीं दे रहा है, यह बात नरेंद्र मोदी जानते न हों, यह मानना मुश्किल है। लेकिन वे ऐसा कर रहे हैं तो क्या इसका कारण चुनाव का उनकी उम्मीद के अनुरूप न जाना है और यह हारे को हरिनाम जैसा मामला है?