ऐसा लगता है कि कांग्रेस के न्याय-पत्र में लोगों की आर्थिक स्थिति तुरंत सुधारने से जुड़ी घोषणाओं ने पीएम मोदी को परेशान कर दिया है। 30 लाख ख़ाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती, हर नौजवान को पहली नौकरी के रूप में एक लाख सालाना की अप्रेंटिस गारंटी, ग़रीब घर की एक महिला के खाते में लाख रुपये सालाना, न्यूनतम मज़दूरी चार सौ रुपये करने और किसानों के लिए एसएसपी की क़ानूनी गारंटी जैसे ज़रूरतमंदों की जेब में तुरंत पैसा डालने के ऐलान ने पीएममोदी के 2047 तक अच्छे दिन लाने के ‘वायवीय’ वादे को फीका कर दिया है। यही वजह है कि वे राहुल गाँधी को ‘एक झटके में ग़रीबी ख़त्म करने वाला शाही जादूगर’ बताते हुए हँसी उड़ा रहे हैं और पूछ रहे हैं कि पचास साल पहले राहुल कीदादी इंदिरा गाँधी के ग़रीबी हटाओ नारे का क्या हुआ?
अंग्रेज़ी राज से बदतर आय-असमानता, फिर भी मोदी के सवाल राहुल से!
- विश्लेषण
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- 19 Apr, 2024

कांग्रेस के घोषणापत्र पर पीएम मोदी की बयानबाजी ने यह तो साफ कर दिया है कि देश की दो पार्टियां यानी कांग्रेस और भाजपा देश को किस दिशा में ले जाना चाहती हैं। मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र पर गुमराह करते और गलतबयानी करते हुए पकड़े गए हैं। वो कांग्रेस घोषणापत्र के बारे में जो बता रहे थे, उसी बात ने लोगों को कांग्रेस का घोषणापत्र पढ़ने को मजबूर कर दिया। चुनाव के नतीजे जो भी हों लेकिन मोदी की आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक असमानता की पर्तों को नंगा कर दिया है। पढ़िए पंकज श्रीवास्तव का लेखः