तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर क्या 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए 'बी' टीम बनाने में जुटे हैं? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाक़ात के बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चा तेज़ हो गई है। केसीआर फ़िलहाल एक ऐसा मोर्चा बनाने में जुटे हैं जो लोकसभा चुनाव तक न तो बीजेपी के साथ हो और न कांग्रेस के साथ। यानी तीसरा मोर्चा जो 2019 के चुनावों के बाद भविष्य की राजनीति का फ़ैसला करे। केसीआर इस तरह की कोशिश पिछले आठ-नौ महीनों से कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि ऐसे नेताओं को इकट्ठा किया जाए जिनका अपने राज्य में बीजेपी और कांग्रेस दोनों से तालमेल संभव नहीं है।
बीजेपी की 'बी' टीम तैयार कर रहे हैं केसीआर?
- विश्लेषण
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- शैलेश
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- 26 Dec, 2018

ममता और नवीन पर नज़र
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का मुक़ाबला सीपीएम की अगुआई वाले वामपंथी गठबंधन के साथ-साथ कांग्रेस से भी है। केसीआर के निशाने पर उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक दूसरे नंबर पर हैं। पटनायक के बीजू जनता दल का मुक़ाबला कांग्रेस और बीजेपी से है। उधर, केसीआर उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव को भी साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।
केसीआर ने प्रारंभिक दौर में शरद पवार की एनसीपी और आँध्र में चंद्रबाबू नायडू के तेलुगू देशम को भी साथ लाने की कोशिश की। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
तेलंगाना विधानसभा के हाल के चुनाव में चंद्रबाबू नायडू कांग्रेस के साथ चले गए। शरद पवार ने भी कांग्रेस से अलग होने में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई। दोनों की वजह साफ़ है। चंद्रबाबू नायडू जहाँ आंध्र-विभाजन के समय हैदराबाद के हाथ से निकल जाने का दंश भूले नहीं हैं, वहीं शरद पवार को अच्छी तरह मालूम है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस का साथ छोड़ देने से उन्हें कितना नुक़सान उठाना पड़ेगा, जिसकी भरपाई केसीआर या उनकी कोशिशों से बनने वाला कोई तीसरा मोर्चा क़तई नहीं कर सकता।