जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के इस बार के नतीजे कई मायने में बेहद खास हैं। इस बार चुनाव 4 साल बाद हुए। एक बार फिर से वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा कायम रहा। केंद्रीय पैनल के 4 में से 3 पदों पर वामपंथी संयुक्त मोर्चा चुनाव जीता। यह भी गौरतलब है कि जेएनयू को तीन दशक बाद पहला दलित प्रेसिडेंट मिला। बिहार के गया से आने वाले धनंजय बत्तीलाल बैरवा के बाद दूसरे दलित प्रेसिडेंट हैं। इससे भी ज्यादा खास बात ये है कि पिछले 10 साल से जेएनयू में बहुजनों वंचितों की मुखर आवाज बनी बापसा को केंद्रीय पैनल में पहली बार जीत मिली।
जेएनयू ने क्यों फिर हिंदुत्व को नकार दिया?
- विश्लेषण
- |
- 29 Mar, 2025
जेएनयू में हिन्दुत्ववादी शक्तियों के पराजित होने का विश्लेषण तरह-तरह से किया जा रहा है। सामाजिक चिन्तक रविकांत के विचार भी उसी सिलसिले की कड़ी है। पढ़िए और जानिएः
