कहा जा रहा है कि ये लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसा है। बीते लोकसभा चुनावों के नतीजे इस धारणा को पुष्ट करते हैं। बावजूद इसके कि 2014 की 44 सीटों की तुलना में 2019 में कांग्रेस अपनी सीटों में मामूली बढ़ोतरी करते हुए 52 सांसदों को लोकसभा में भेजने में सफल हुई थी। दरअसल कांग्रेस की मुश्किल यह है कि वह अपने वोटों को दूसरे दलों की तुलना में सीटों में बदलने में सफल नही हो पा रही है। बेशक, पिछले कुछ चुनावों में उसके वोट प्रतिशत में कमी आई है। मगर दूसरे दलों की तुलना में उसके वोट आनुपातिक रूप से सीटों में नहीं बदलते।