मृत्यु जीवन को खाती है लेकिन ‘असमानता’ पीढ़ियों को खाने का काम करती है। जो सरकार असमानता रोक पाने में असफल रहती है वो धीरे-धीरे एक राष्ट्र को खत्म करती जाती है। वहाँ अगर कुछ बचता है तो कुछ अमीरों की ऊँची ‘चौकियाँ’ जहां से बैठकर वो सिर्फ़ सैकड़ों मील तक फैला सन्नाटा देख पाते हैं, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। यदि विक्टोरिया वुडहुल के शब्दों में समझें तो “यह संघर्षरत जनता ही है जो देश की नींव है; और यदि नींव सड़ी हुई या असुरक्षित है, तो बाकी संरचना अंततः ढह जाएगी।” विक्टोरिया 1872 में संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाली पहली महिला थीं।
मोदी काल में बढ़ती ‘असमानता’ भारत की नींव कमजोर कर रही है?
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में 3 ट्रिलियन डॉलर से कुछ ही ज़्यादा है, जबकि देश के सिर्फ 271 लोगों की ही कुल संपत्ति एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो चुकी है। आख़िर इतनी गहरी असमानता क्यों है?
हाल में जारी कुछ आँकड़े भारत की कमजोर नींव की ओर संकेत कर रहे हैं। 26 मार्च को ‘हुरुन रिसर्च इंस्टिट्यूट’ ने वैश्विक धनपतियों की सूची-2024 (ग्लोबल रिच लिस्ट) जारी की। यह सूची बताती है कि इस समय भारत में 271 अरबपति हैं। इनमें से 94 नाम 2023 में ही जुड़े हैं। मतलब यह हुआ कि भारत में जितने भी अरबपति हैं उनमें से लगभग एक तिहाई सिर्फ़ एक साल में ही बढ़ गये हैं। यह भी जानकर आश्चर्य होना चाहिए कि भारत ने 2023 में अमेरिका को छोड़कर दुनिया में सबसे ज़्यादा अरबपति पैदा किए हैं।