पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और बाद में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ मात्र दो रेखाएं भर नहीं हैं जो भारत के भौतिक धरातल पर ‘दक्षिण से उत्तर’ और ‘पूर्व से पश्चिम’ की ओर जाती हैं, बल्कि इन दोनो ने देश को एक संजीदा और एकताबद्ध करने वाला नेतृत्व प्रदान करने का काम किया है। यह यात्राएं नेतृत्व निर्माण की गहरी रेखाएं हैं जिन्हे नकारना अब असंभव है। पूरी दुनिया के इतिहास में लोकतंत्र के नाम पर इतनी कठिन परिस्थितियाँ किसी भी नेता के सामने नहीं आईं जितनी राहुल गाँधी के सामने ‘खड़ी की गईं’।