2014 से पहले जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आने की तैयारी कर रहे थे; तब, और फिर सत्ता में आने के बाद से, लगातार बीजेपी ने इस नैरेटिव पर काम किया कि देश के किसी भी दूसरे नेता की छवि को या तो नरेंद्र मोदी से आगे दिखने से रोक दिया जाए या अन्य तरीक़े से उस नेता की छवि को कमजोर किया जाए। ऐसा करने के लिए या तो कोई भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दे से टारगेट किया जाए और ऐसा करना संभव न हो तो किसी अन्य तरीके से कम से कम उस नेता की छवि पर मीडिया का सहारा लेकर कोई दाग धब्बा तो लगाया ही जा सकता है। कभी भाषणों को गलत इरादे से छेड़छाड़ (काट कर, आधा अधूरा) करके, तो कभी हजारों बेरोजगारों की ऐसी फौज के माध्यम से जो लगातार, बार बार कुछ पैसों के लिए सिर्फ गाली-गलौज की भाषा का इस्तेमाल करें और नेताओं की अच्छी छवि को लगातार सोशल मीडिया में खराब कर सकें।