आम आदमी पार्टी क्या दिल्ली में फिर कमाल करेगी? क्या वो चौथी बार सरकार बना कर नया इतिहास रचेगी? क्या केजरीवाल फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे? ये सवाल मौजूदा चुनाव के दौरान दिल्ली के लोगों को मथ रहे हैं। ऐसे में जब कि दिल्ली में मतदान में कुछ ही दिन बाक़ी हैं, ये सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या ये वही ‘आप’ है जो देश में राजनीतिक व्यवस्था को बदलने का वादा करके सत्ता में आयी थी? क्या केजरीवाल वही नेता हैं जो रोज राजनेताओं को जी भर भर के गालियाँ दिया करते थे?

लोकसभा में बीजेपी को 54% से ज़्यादा वोट 2020 और 2024 में मिले, पर विधानसभा चुनाव में बीजेपी पिट जाती है। लेकिन क्या इस बार अरविंद केजरीवाल के लिए विधानसभा का रास्ता इतना आसान होगा?
आप दिल्ली और देश की राजनीति में एक धूमकेतु की तरह उभरी थी। वो एक उम्मीद थी कि देश की राजनीति बदलेगी। देश में बेईमान नेताओं की जगह ईमानदार लोगों के हाथ सत्ता की चाभी होगी। आम आदमी की सुनी जायेगी। उनके हितों की रक्षा की जायेगी। राजनीति नेताओं का पेट नहीं भरेगी, वो लोगों की तकलीफ़ों का इलाज करेगी। आप से उसे उम्मीद थी। लेकिन 2025 आते-आते वो उम्मीद जाती रही। केजरीवाल की पार्टी आज दूसरे दलों की तरह हो गई है। केजरीवाल अब कोई क्रांतिकारी नेता नहीं रहे। वो भी दूसरे नेताओं की जमात में शामिल हैं। ऐसे में 2025 विधानसभा का चुनाव एक सामान्य चुनाव है।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।