विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झारखंड की राजनीति में उथल- पुथल का दौर शुरू है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन दल से अलग होते दिखाई पड़ रहे हैं। रविवार को वे दिल्ली पहुंचे हैं। उनके दिल्ली पहुंचते ही अटकलें तेज हैं कि वे बीजेपी के आला नेताओं के संपर्क में हैं और कभी भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
राह बदलकर चंपाई सोरेन जेएमएम का कितना बिगाड़ पाएंगे?
- विश्लेषण
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- 19 Aug, 2024

चंपाई सोरेन ने कहा है कि कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। तो सवाल है कि इनके अलग होने से जेएमएम और हेमंत सोरेन का कितना नुक़सान होगा?
चंपाई सोरेन के इस रुख से झारखंड की सियासत में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू है और सबकी नज़रें रांची से दिल्ली तक टिकी हैं। सत्तारूढ़ जेएमएम- कांग्रेस के रणनीतिकार भी बनते- बिगड़ते समीकरणों को बारीकी से भांप रहे हैं। जेएमएम कुनबा को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचे, इसे संभालने की कवायद तेज है।
चंपाई सोरेन के इस रुख को उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद उनकी नाराजगी के तौर भी देखा जा रहा है। इसके साथ ही एक सवाल सियासत के केंद्र में है कि चंपाई सोरेन के झामुमो छोड़ने से किसका कितना लाभ और किसका कितना नुकसान। सवाल यह भी उभरा है कि चंपाई सोरेन बीजेपी की मजबूती में काम आएंगे या अपना वजूद बचाएंगे।