टिकटों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में बग़ावत की जो स्थिति बनी उसे या तो दोनों पार्टियों के आलाकमानों ने गंभीरता से नहीं लिया या फिर जो भी तनाव क़ायम हुआ है उसे सार्वजनिक नहीं होने दिया गया। चुनाव नतीजों की दृष्टि से विद्रोह के हालात कई सीटों पर गंभीर स्थिति में पहुँच गए हैं। ऐसे ही चलता रहा तो इसका असर लोकसभा चुनावों पर भी पड़ने वाला है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के मुक़ाबले भाजपा को ही ज़्यादा नुक़सान उसके बग़ावतियों से होने वाला है। नाम वापस लेने की आख़िरी तारीख़ तक बत्तीस सीटों (कुल 230) को प्रभावित करने वाले भाजपा के 35 बाग़ी मैदान में थे। यह संख्या काफ़ी बड़ी है।