इस तरह की चर्चाओं के बीच कि बग़ावत जैसी स्थितियों के कारण ही भाजपा की चौथी सूची में शिवराज सिंह और उनके ‘दागी’ मंत्रियों को भी शामिल करना पड़ा अब फ़ोकस इस सवाल पर केंद्रित है कि मध्यप्रदेश में जीत किस पार्टी की होने जा रही है ? तीन सूचियों में 79 उम्मीदवारों की घोषणा के बाद शिवराज को भी टिकट देने का फ़ैसला निश्चित ही पहली लिस्ट के भारी भरकम नामों (सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव) की राजनीतिक हैसियत को भी प्रभावित करने वाला है। दूसरी ओर, ज्योतिरादित्य की बग़ावत के बाद से नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस में किसी तरह का तनाव नहीं बचा है। आलाकमान (राहुल गांधी) की मंशा की जाने बग़ैर ही कमलनाथ ने काफ़ी पहले से ख़ुद को ‘भावी मुख्यमंत्री’ घोषित कर रखा है।