विधानसभा चुनावों के नतीजे आ गए हैं और अब यह कहा जा सकता है कि पप्पू फ़र्स्ट डिविज़न में पास हो गया। वह सिंघम बन गया है। राहुल गाँधी के लिये पिछले पाँच साल बडे बुरे बीते। उनकी समझदारी और राजनीतिक परिपक्वता पर बड़े तीखे सवाल खड़े किए जाते रहे। राहुल से ज़्यादा बड़ी अग्निपरीक्षा हाल के दिनों में शायद किसी नेता ने नहीं दी होगी। आज यह कहा जा सकता है कि देश की राजनीति में बडा बदलाव आने वाला है। हिंदीभाषी राज्यों - राजस्थान और छत्तीसगढ में कांग्रेस ने भारी उलटफेर किया। वहाँ वह आसानी से सरकार बना रही है। मध्य प्रदेश में भी वह सरकार बनाने के काफ़ी क़रीब है।हालाँकि तेलंगाना में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा हैं और मिज़ोरम भी हाथ से निकल गया है। पर इस चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। यह कहा जा सकता है कि अब ऊँट आया पहाड़ के नीचे।
अब जब ये परिणाम आ गए हैं तो यह पूछा जा सकता है कि इसका आने वाले दिनों में क्या फ़र्क़ पड़ेगा। मेरे विचार से इस चुनाव के पाँच बडे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
आज यह कहा जा सकता है कि देश की राजनीति में बडा बदलाव आने वाला है। हिंदीभाषी राज्यों - राजस्थान और छत्तीसगढ में कांग्रेस ने भारी उलटफेर किया। वहाँ वो आसानी से सरकार बना रही है। मध्यप्रदेश में भी वो सरकार बनाने के काफी क़रीब है।हालाँकि तेलंगाना में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा हैं। और मिज़ोरम भी हाथ से निकल गया है। पर इस चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को बडी शर्मिंदगी का सामना करना पडा है। ये कहा जा सकता है कि अब ऊँट आया पहाड़ के नीचे। इस चुनाव के पाँच बडे निष्कर्ष निकाले जा सकता हैं। आज के चुनाव नतीजों के बाद देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। लंबे समय के बाद कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी ख़ुशख़बरी आई है। इन परिणामों से पाँच निष्कर्ष बड़े आराम से निकाले जा सकते हैं।

लोगों के मन में जो यह धारणा बन गई थी कि 2019 की लडाई एकतरफ़ा है, कांग्रेस बीजेपी का मुक़ाबला नहीं कर सकती और राहुल गाँधी मोदी के सामने नहीं ठहरते। आज के चुनाव परिणामों के बाद यह तर्क ख़त्म होगा। अभी तक बीजेपी की तरफ़ से कहा जाता था कि मोदी जी का कोई विकल्प नहीं है। लेकिन अब तय है कि 2019 का लोकसभा चुनाव मोदी बनाम राहुल होगा।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।