भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 27 मई को 57वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संध्या वत्स नेहरू द्वारा ही लिखित लेख ‘इस मशाल को कौन थामेगा’ के कुछ अंश पर टिप्पणी करती हैं।
मीडिया में अभद्र भाषा का इस्तेमाल तो धड़ल्ले से हो रहा है। इसमें भी रिपब्लिक टीवी पर बहस को लेकर सवाल उठते रहे हैं। अर्णब गोस्वामी की भाषा क्या सीमाओं को लांघती है?