प्रतिष्ठित मीडिया फोर्ब्स की एक स्टोरी का शीर्षक है- 'क्या आप अमेरिका छोड़ना चाहते हैं? कौन से देश अमेरिकियों का खुले दिल से स्वागत कर रहे हैं?' वाशिंगटन पोस्ट जैसे प्रतिष्ठित अमेरिकी अख़बार की एक स्टोरी का शीर्षक है- 'विदेश जाने का सपना देख रहे हैं? 5 देशों में प्रवास करने के लिए क्या करना होगा।'
तो सवाल है कि आख़िर अमेरिका में ऐसा क्या हो गया कि अमेरिकी मीडिया को यह लिखना पड़ रहा है कि 'क्या आप अमेरिका छोड़ना चाहते हैं?' आख़िर वहाँ के बड़े-बड़े अख़बार उन देशों की सूची क्यों छाप रहे हैं जहाँ अमेरिकियों को प्रवास करना बेहतर होगा? ऐसी हालत उस देश की कैसे हो गई जहाँ आप्रवास करने या बसने के लिए भारत जैसे देशों के लोग सपने देखते हैं और 'डंकी रूट' अपनाने से भी नहीं हिचकिचाते, उस देश के ही नागरिक पलायन करने लगे हैं?
अमेरिका के एक और प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 'क्या डिजिटल नोमाडिज़्म की नई लहर आ रही है? विदेश जाने में रुचि बढ़ रही है' शीर्षक से लंबी-चौड़ी रिपोर्ट छापी है। इसमें इसने लिखा है कि अमेरिकी चुनाव के मद्देनजर डिजिटल नोमाड वीजा और विदेश जाने में अमेरिकियों की रुचि बढ़ रही है।
डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से अमेरिका छोड़ने की चर्चा बढ़ गई है। अमेरिकी चुनाव के नतीजे घोषित होने और ट्रंप के जीतने के बाद नोमाड वीजा में भी बढ़ोतरी हुई है। इन वीजा पर लोगों को लंबे समय तक किसी दूसरे देश से दूर से काम करने की अनुमति है। महामारी के दौरान डिजिटल नोमाडिज़्म में उछाल आया, जब कई लोग कार्यस्थल तक सीमित नहीं थे और दूर-दराज के गंतव्यों पर स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते थे और वहाँ रह सकते थे और वहीं से काम कर सकते थे।
कहा जा रहा है कि गूगल पर इसकी तलाश इसलिए की जा रही है क्योंकि खुद को उदारवादी मानने वाले अमेरिकियों का एक वर्ग यह नहीं मानता कि वे ट्रंप के शासन में अमेरिका में रह सकते हैं।
वे ट्रंप को विभाजनकारी व्यक्ति के रूप में देखते हैं। बता दें कि ट्रंप ने आप्रवासन पर नकेल कसने का संकल्प लिया है और वह गर्भपात विरोधी रुख रखते हैं।
हालाँकि, अमेरिका से बाहर जाने के इच्छुक लोगों का ऐसा कोई ठोस आँकड़ा नहीं है, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स और यूएसए टुडे सहित कई मीडिया रिपोर्टों और ऑनलाइन चर्चाओं में यह दिख रहा है। इसी तरह का रुझान 2016 में भी देखने को मिला था जब ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन को हराकर राष्ट्रपति पद संभाला था।
पिछले चुनाव में कैलिफोर्निया से पुर्तगाल चले गए 48 वर्षीय जस्टिन नेपर ने यूएसए टुडे को मौजूदा हालात के बारे में बताया, 'मैं कहूंगा कि हमारे कम से कम 50% दोस्त जाने पर विचार कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश के लिए राजनीति एक फ़ैक्टर है।' यूएसए टुडे की रिपोर्ट के अनुसार कई प्रवासी ऐसे देश में जाना चाहते हैं 'जो उनके मूल्यों के अनुरूप हो, जिसमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका के ध्रुवीकृत राजनीतिक माहौल से भागना शामिल है।'
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से कई लोगों में निराशा और निराशा की भावना पैदा हुई है, जो सोचते हैं कि उनकी नीतियों से वे सीधे प्रभावित होंगे। अमेरिकी मीडिया के हवाले से इंडिया टुडे ने ख़बर दी है कि डेयरड्रे रोनी नाम की एक महिला ने अमेरिकी चुनावों से महीनों पहले यूएसए टुडे को बताया था, 'मैं आपको चुनौती देती हूं कि आप किसी ऐसे व्यक्ति को खोजें जो मेरे जैसा उदास और डरा हुआ हो।' डेयरड्रे और उनके पति ने कैरेबियाई देश एंटीगुआ और बारबुडा की दोहरी नागरिकता प्राप्त की और चले गए।
डी सेग्लर नाम के एक शख्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक दिन पहले अमेरिका छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने इसकी योजना पहले से बना रखी थी। यह तत्काल चुनाव नहीं था जिसने उन्हें अचानक छोड़ने पर मजबूर किया, यह अमेरिका में समग्र राजनीतिक माहौल था।
नौकरी से छंटनी, पदोन्नति न होना और गुजारा करने में कठिनाई होने की वजह से भी लोग अमेरिका को अलविदा कहने के लिए मजबूर हुए हैं।
सिंडी शीहान नाम की एक महिला अमेरिका में बढ़ते ध्रुवीकरण और विभाजनकारी माहौल के कारण इस अक्टूबर में सिसिली चली गईं। जब उनसे वापस लौटने की योजना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह असंभव है। उन्होंने यूएसए टुडे से कहा, 'मेरे लिए ट्रम्प का एक और कार्यकाल मंजूर नहीं है।'
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार एक्सपैट्सी नामक कंपनी चलाने वाली जेन बार्नेट ने कहा कि उनकी कंपनी विदेश जाने के इच्छुक अमेरिकियों की मदद करती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद की दौड़ की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद उनकी साइट पर एक महीने के बराबर ट्रैफ़िक आया और कुछ ही दिनों में वह हो गया जो आम तौर पर कुछ महीनों के बराबर बिक्री होती है।
रिपोर्ट के अनुसार 2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के फिर से चुने जाने, 2020 में जो बाइडन के चुनाव और 2016 में ट्रम्प के पहले चुनाव के दौरान भी विदेश जाने में इसी तरह की दिलचस्पी बढ़ी थी - लेकिन डेटा से पता चलता है कि केवल कुछ ही अमेरिकियों ने वास्तव में इस दिशा में कदम बढ़ाया।
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