अमेरिका ने शुक्रवार को गजा में युद्धविराम की मांग करने वाले सुरक्षा परिषद (यूएन) के लगभग सभी सदस्यों और दर्जनों अन्य देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव को वीटो कर दिया। प्रस्ताव के समर्थकों ने इसे एक भयानक दिन बताया और युद्ध के तीसरे महीने में पहुंचने पर और अधिक मौतों और विनाश की चेतावनी दी। 15 सदस्यीय यूएन सुरक्षा परिषद में वोट 13 वोट इसके पक्ष में था और एक विरोध में था। जो विरोध में था उसी ने प्रस्ताव को वीटो भी कर दिया। ब्रिटेन मतदान से गैरहाजिर रहा।
यहां यह बताना जरूरी है कि गजा पर इजराइली बमबारी पर यूएस का अलग-थलग रुख वाशिंगटन और उसके कुछ निकटतम सहयोगियों के बीच बढ़ती दरार को बताता है। युद्धविराम के आह्वान का समर्थन करने वालों में फ्रांस और जापान भी शामिल थे। ब्रिटेन गैरहाजिर रहा। इसका साफ मतलब है कि फ्रांस, जापान और ब्रिटेन भी चाहते हैं कि गजा में अब युद्धविराम हो। लेकिन इजराइल और अमेरिका अड़े हुए हैं।
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युद्ध विराम के लिए बाइडेन प्रशासन पर दबाव डालने की कोशिश करने के लिए मिस्र, जॉर्डन, फिलिस्तीनी प्राधिकरण, कतर, सऊदी अरब और तुर्की के विदेश मंत्री शुक्रवार को वाशिंगटन में थे। लेकिन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ उनकी बैठक संयुक्त राष्ट्र में वोट के बाद ही हो सकी। वोट के साथ-साथ, अरब राजनयिकों के मिशन ने इजराइल को हत्याओं वाले हवाई हमलों को रोकने की बढ़ती मांगों के बीच अमेरिका को पूरी तरह दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया कि अमेरिका दरअसल फिलिस्तीन में क्या चाहता है।
यूएन में यूएस के उप राजदूत रॉबर्ट वुड ने प्रस्ताव को "असंतुलित" कहा। उन्होंंने इजराइल पर हमास के 7 अक्टूबर के हमले की निंदा करने में विफलता के लिए यूएन सुरक्षा परिषद की आलोचना की। अमेरिका का कहना है कि सुरक्षा परिषद खुद की रक्षा के लिए इजराइल के अधिकार को स्वीकार करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा की कि युद्धविराम करने से हमास को गजा पर शासन जारी रखने और "केवल अगले युद्ध के लिए बीज बोने" की अनुमति मिल जाएगी। हालांकि अमेरिकी दूत इस बात पर मौन रहे कि गजा में अब तक मारे गए हजारों लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। अमेरिका को गजा में मारे गए बच्चों और महिलाओं के निरीह चेहरे नजर नहीं आए।
यूएई के उप राजदूत मोहम्मद अबुशाहा ने कहा कि "अगर हम गजा पर लगातार बमबारी रोकने के आह्वान के पीछे एकजुट नहीं हो सकते तो हम फिलिस्तीनियों को क्या संदेश दे रहे हैं?" उन्होंने कहा- "वास्तव में, हम दुनिया भर में उन नागरिकों को क्या संदेश दे रहे हैं जो खुद को इसी तरह की स्थितियों में पा सकते हैं?"
इजराइली बमबारी में 17,400 से अधिक लोग मारे गए हैं। जिनमें 70% महिलाएं और बच्चे हैं। 46,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सैकड़ों लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं।
यूएई दूत ने कहा कि "एक तरफ तो अमेरिका दृढ़ता से एक टिकाऊ शांति का समर्थन करता है, जिसमें इजराइल और फिलिस्तीनी दोनों शांति और सुरक्षा में रह सकते हैं, लेकिन दूसरी तरफ वो युद्धविराम के आह्वान का समर्थन नहीं करता है।" यूएई द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव ने 24 घंटे से भी कम समय में लगभग 100 प्रस्तावकों का समर्थन हासिल कर लिया था, जो युद्ध को समाप्त करने और फिलिस्तीनी जीवन को बचाने के प्रयासों के लिए ग्लोबल समर्थन की ही मुहर है। लेकिन अमेरिकी वीटो ने पूरे माहौल को निराशा में बदल दिया। इससे अमेरिका के साथ-साथ सुरक्षा परिषद के भी अलग-थलग पड़ने का खतरा पैदा हो गया है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा अब दांव पर लग गई है।
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फ्रांस के राजदूत निकोलस डी रिवियेर ने प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने इस मुद्दे पर एकता की कमी पर अफसोस जताया और "एक नए, तत्काल और स्थायी मानवीय संघर्ष विराम के लिए अनुरोध किया, जिससे एक स्थायी संघर्ष विराम हो।" रूस के डिप्टी यू.एन. राजदूत दिमित्री पॉलींस्की ने अमेरिकी पैंतरेबाजी पर "मध्य पूर्व के इतिहास में सबसे काले दिनों में से एक" कहा और अमेरिका पर "फिलिस्तीन और इज़राइल में हजारों नागरिकों को मौत की सजा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि "इतिहास वाशिंगटन के कार्यों पर इंसाफ करेगा।" उन्होंने इसे "निर्दयी इजराइली नरसंहार" कहा।
वाशिंगटन में, जॉर्डन के शीर्ष राजनयिक ने मीडिया से कहा कि इजराइली बमबारी और गजा की घेराबंदी में फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्याएं युद्ध अपराध हैं और आने वाले वर्षों में दुनिया को अस्थिर करने का खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा “लोग इसे इस तरह नहीं देख पा रहे हैं, लेकिन हम इसे देख रहे हैं।” जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमन सफ़ादी ने कहा, “हम उन चुनौतियों को देख रहे हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं। पूरी दुनिया में सभी लोग कह रहे हैं कि हम कुछ नहीं कर रहे हैं। क्योंकि हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद इजराइल नरसंहार जारी रखे हुए है।” एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने इजराइली सरकार को हथियार देने के लिए अमेरिका की आलोचना की। ह्यूमन राइट्स वॉच के संयुक्त राष्ट्र निदेशक लुइस चारबोन्यू ने कहा कि इजराइल को हथियार और राजनयिक कवर प्रदान करके "गजा में फिलिस्तीनी नागरिक आबादी को सामूहिक रूप से दंडित करना है। इस तरह अमेरिका भी युद्ध अपराधों में शामिल होने का जोखिम उठा रहा है।"
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