अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि वह कोरोना की रोकथाम के लिए क्लोरोक्विन की एक गोली रोज़ाना लेते हैं। ट्रंप का यह कहना चौंकाने वाला इसलिए है कि अमेरिकी दवा नियामक संस्था फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने साफ़ शब्दों में कह रखा है कि यह दवा लेने से
हृदय की गति असामान्य हो सकती है।
ट्रंप ने रेस्तरां मालिकों के साथ एक बैठक में कहा, ‘मैं क्लोरोक्विन ले रहा हूं। मैं इसे बीते डेढ़ हफ़्ते से ले रहा हूँ। रोज़ाना एक गोली लेता हूँ।’
क्या कहना है एफ़डीए का?
ट्रंप शुरू से ही कहते आए हैं कि कोरोना की रोकथाम में यह दवा
कारगर है। पर वहाँ के ज़्यादातर शोधकर्ताओं ने उनके इस दावे पर सवाल उठाए हैं। एफ़डीए ने 24 अप्रैल को सार्वजनिक तौर पर कहा कि क्लोरोक्विन के इस्तेमाल करने वालों में हृदय की गति असामान्य पाई गई है।
इसके विपरीत व्हाइट हाउस के डॉक्टर शॉन कॉनली ने कहा, ‘मैंने और राष्ट्रपति ने क्लोरोक्विन के इस्तेमाल पर विचार किया है, इसके अच्छे और बुरे प्रभावों का अध्ययन किया है और पाया है कि इसके इस्तेमाल से होने वाले फ़ायदे इससे जुड़े जोखिम से ज़्यादा हैं।’
विपक्ष का हमला
ट्रंप के इस बयान ने राजनीतिक रूप ले लिया है। सीनेट में विपक्षी दल डेमोक्रेट्स के नेता चक शूमर ने समाचार एजेन्सी एमएसएनबीसी से एक इंटरव्यू में कहा,
“
‘राष्ट्रपति ने क्लोरोक्विन के साथ जो कुछ किया, वह ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है, बहुत ही ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है। वे लोगों में झूठी उम्मीद जगा रहे हैं।’
चक शूमर, सीनेटर, डेमोक्रेट्स
दूसरी ओर, न्यू जर्सी स्थित सेंट जोजफ़ यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर बॉब लहिता ने फ़ॉक्स न्यूज़ से कहा कि उन्होंने कई रोगियों को यह दवा दी है, लेकिन इसका कुछ नतीजा नहीं रहा है।
क्लोरोक्विन के लिए भारत को धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान को इस परिप्रेक्ष्य में बेहतर ढंग से समझा जा सकता है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़ुद फ़ोन कर
इस दवा की माँग की थी। उस समय तक भारत ने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक तौर पर भारत को धमकी दी कि यदि उसने क्लोरोक्विन की आपूर्ति नहीं की तो वह भारत के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई करेंगे।
उस समय तक भारत ने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी। लेकिन ट्रंप की इस धमकी के कुछ घंटे के अंदर ही इसके निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया। भारत ने अमेरिका को 2.90 करोड़ गोलियाँ दीं।
सवाल यह उठता है कि जिस राष्ट्रपति के करोड़ों समर्थक हों, सोशल मीडिया पर करोड़ों लोग फ़ॉलो करते हों, क्या उसे इस तरह की ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरक़त करनी चाहिए। यह ठीक वैसा ही है जैसा कि भारत के कई मंत्री कह चुके हैं गोमूत्र से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।
अपनी राय बतायें