अमेरिका को लैंड ऑफ़ ऑपरचुनिटी और मेल्टिंग पॉट जैसे विशेषणों से नवाज़ा जाता रहा है लेकिन इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में इस देश में आकर मेरी पहली छवि यही बनी कि अमेरिका मूल रूप से पूंजी का देश है। यहाँ सबकुछ पैसा है जहाँ दो तरह के लोग हैं। एक जिनके पास पैसा है और दूसरा जो चाहता है कि उसके पास भी पैसा हो। हो सकता है कि यह कहना अतिशयोक्ति हो लेकिन ज़्यादातर अमेरिकी इस आशा में जीते हैं कि वो किसी भी दिन लखपति या करोड़पति हो सकते हैं। ऐसी सोच का कारण भी है कि इस देश में कई बार ऐसा हुआ है कि लोगों ने अपने घरों में कोई छोटा सा उत्पाद बनाया जो आगे चलकर करोड़ों डॉलर की कमाई दे गया।