अमेरिका को लैंड ऑफ़ ऑपरचुनिटी और मेल्टिंग पॉट जैसे विशेषणों से नवाज़ा जाता रहा है लेकिन इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में इस देश में आकर मेरी पहली छवि यही बनी कि अमेरिका मूल रूप से पूंजी का देश है। यहाँ सबकुछ पैसा है जहाँ दो तरह के लोग हैं। एक जिनके पास पैसा है और दूसरा जो चाहता है कि उसके पास भी पैसा हो। हो सकता है कि यह कहना अतिशयोक्ति हो लेकिन ज़्यादातर अमेरिकी इस आशा में जीते हैं कि वो किसी भी दिन लखपति या करोड़पति हो सकते हैं। ऐसी सोच का कारण भी है कि इस देश में कई बार ऐसा हुआ है कि लोगों ने अपने घरों में कोई छोटा सा उत्पाद बनाया जो आगे चलकर करोड़ों डॉलर की कमाई दे गया।
अमेरिका में चुनाव: क्यों ट्रंप को फ़ंडिंग कम मिल रही है?
- दुनिया
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- 13 Sep, 2020

अब अगले दो महीने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे अहम हैं। और जिसके पास जितना फ़ंड होगा वो ये फ़ंड चुनाव प्रचार में उतना ही अधिक डालेगा। पूर्व के अभियानों में चुनाव फ़ंड का ज़्यादातर हिस्सा टीवी प्रचार में जाता था यानी कि दोनों उम्मीदवार टीवी पर ढेर सारे विज्ञापन दिया करते थे।
अगर पूंजी को ही अंतिम सत्य मानें और राष्ट्रपति चुनावों को देखें तो एक अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन सा उम्मीदवार लोगों से कितने पैसे जुटा रहा है और क्या ज़्यादा पैसे जुटाना किसी उम्मीदवार की जीत की तरफ़ इशारा करता है।